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जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .

ग़ज़ल
यूँ ना खेला करो दिल के ज़ज्बात से .
जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे .
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से .
ख्वाब में आता हँसता लिपटता सनम .
हो गई आशनाई हमें रात से .
गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र .
क्या पता आँख भर आई किस बात से .
फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .
गीतकार -सतीश मापतपुरी
मोबाइल -9334414611

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प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on May 8, 2010 at 8:55am
भाई सतीश मापतपुरी ,

सच में बहुत सुंदर ग़ज़ल कही है आपने ! आपके शे'यर दिल को छूने वाले और कहने का अंदाज़ निराला है ! एक पुर-असर मतला किसी सुंदर ग़ज़ल की पहली requirement होती है और आपकी ग़ज़ल का मतला उस कसौटी पर पूरा खरा उतरता है ! आपके मुन्दर्जा-ज़ैल दो शे'यर भी बहुत दिलकश हैं !

//गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र .
क्या पता आँख भर आई किस बात से .
फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .//

आपसे गुज़ारिश है की कभी रुकना नहीं, ये सफ़र हमेशा जारी रहना चाहिए ! मेरी दुआ है की प्रभु आपकी कलम को बल बख्शे !

योगराज प्रभाकर
098725-68228
092168-98998
Comment by asha pandey ojha on May 6, 2010 at 10:17am
ख्वाब में आता हँसता लिपटता सनम . हो गई आशनाई हमें रात से . गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र . क्या पता आँख भर आई किस बात से Thats really wonderfu lines of this Gzal..simply great &touchy..!
Comment by Kanchan Pandey on May 5, 2010 at 9:43pm
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे .
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से .
achhi gazal hai, umeed karti hu ki aagey bhi aapko padhney ko mileyga, thanks
Comment by Admin on May 5, 2010 at 9:33pm
गा रहा था ये दिल हंस रही थी नज़र .
क्या पता आँख भर आई किस बात से .
फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .

सतीश मापतपूरी जी, सर्वप्रथम तो ओपन बुक्स ऑनलाइन के मंच पर आपके पहले पोस्ट का तहेदिल से स्वागत और अभिनन्दन है, आपने अपने पहले पोस्ट मे ही बहुत शानदार ग़ज़ल लिखा है, बहुत बढ़िया, मै तो आपकी भोजपुरी लेखन की प्रतिभा से पूर्व से ही परिचित था, किन्तु आज आपकी हिंदी रचना देखकर मन बाग़ बाग़ हो गया, बहुत ही बढ़िया, आगे भी आप के रचना , टिपण्णी और मार्गदर्शन का हमे बहुत ही सिद्दत से इंतजार रहेगा, धन्यवाद,

फन को मापतपुरी पूछता कौन है .
पूछे जाते यहाँ लोग अवकात से .


अंत मे आप की इन दो लाइनो पर मै कहना चाहुगा की................

यहाँ फन को पूछा ही नहीं जाता है,
बल्कि पूजा जाता है "मापतपुरी",
ये कोई और मंच नहीं, आप जुड़े है,
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम से,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 5, 2010 at 9:27pm
bahut badhiya gajal likha hai aapne satish jee.....dhanybaad yahan humlogo ke beech post karne ke liye........
Comment by Rash Bihari Ravi on May 5, 2010 at 2:26pm
यूँ ना खेला करो दिल के ज़ज्बात से .
जिंदगी थक गयी ऐसे हालात से .
रोज़ मिलते रहे सिर्फ मिलते रहे .
अब तो जी भर गया इस मुलाक़ात से .
bahut khub

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