एक गज़लनुमाँ,,,,,,,,,,,,(मसाला)
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कभी पास आनॆ का और, कभी दूर जानॆ का ॥
सलीका अच्छा नहीं मॊहब्बत मॆं तड़फ़ानॆ का ॥१॥
काबिल न थॆ हम तॊ, इनकार कर दॆतॆ हुज़ूर,
फ़ायदा क्या हुआ इतना, अफ़साना बनानॆ का ॥२॥
जिसकॊ चाहा है वॊ, किसी और का हॊ गया,
बता ऎ ज़िन्दगी क्या करूँ, मैं इस ख़ज़ानॆ का ॥३॥
वफ़ा करॆ या जफ़ा उसकी,तबियत की बात है,
मॆरा तॊ वादा है उससॆ, फ़क्त वादा निभानॆ का ॥४॥
मँहगाई मॆं मॊहब्बत निभायॆ, क्या खाकॆ भला,
तलाश लिया उस नॆ, हमसफ़र ऊँचॆ घरानॆ का ॥५॥
अमीर की बॆटी रही, स्वीमिंग-पुल चाहियॆ उसॆ,
अपनॆ घर बाथरूम नही, सलीकॆ सॆ नहानॆ का ॥६॥
किरायॆ का मकां और, फ़कीरी ज़िंदगी अपनी,
कॊई ठिकाना नहीं है,ज़नाब अपनॆं ठिकानॆ का ॥७॥
ठुकरा दॆगी वॊ हमकॊ, बखूबी मालूम था हमॆं,
फ़िजूल मॆं ख्याल आया था,चक्कर चलानॆ का ॥८॥
गिलॆ-शिकवॆ भूल जाना ही, इबादत है हमारी,
हुनर जानतॆ हैं हम यारॊ, कबूतर उड़ानॆ का ॥९॥
यॆ मॆरी ज़िंदादिली नहीं, तॊ और क्या है बता,
हर शख्स जानता है पता, मॆरॆ आशियानॆ का ॥१०॥
ख़तावार मैं अकॆला नहीं वॊ भी तॊ है ज़नाब,
क्या हक़ था यूँ रुमाल,खिड़की सॆ गिरानॆ का ॥११॥
दॆखतॆ ही मुझकॊ झुका, लॆती थी नज़रॆं क्यॊं,
क्या फ़रॆब था वॊ दुपट्टा दाँतॊं मॆं दबानॆ का ॥१२॥
मुफ़लिसी का मज़ाक तॊ,शौक है अमीरॊं का,
हौसला नहीं हॊता उम्र भर, साथ निभानॆ का ॥१३॥
मुकद्दर ही खॊटा है जब,अपनॆ भी बॆगानॆ हुयॆ,
बताऒ कसूर क्या है भला,इसमॆं ज़मानॆ का ॥१४॥
कत्ल-ए-फ़िराक़ मॆं है मॆरी,यॆ मालूम है मुझॆ,
मैं खूब जानता हूँ सबब,उसकॆ मुस्कुरानॆ का ॥१५॥
हौसला दॆख लॆ मॆरा,ऎ कमज़र्फ़ कातिल मॆरॆ,
तॆरा शौक है ग़र आजमायॆ,कॊ आजमानॆ का ॥१६॥
हवाऒं की नीयत पॆ अब,भरॊसा नहीं मुझकॊ,
आँधियॊं का इरादा है, शायद वज़ूद मिटानॆ का ॥१७॥
इरादा पाक किरदार मॆं, सदाकत रखता हूँ मैं,
और जुनूं है मॆरा चिराग़, तूफ़ां मॆं जलानॆ का ॥१८॥
मॆरा वज़ूद सलामत है, तॊ फ़ज़्ल सॆ उस कॆ,
हर रंग दॆखा है मैनॆ भी, यहाँ पर ज़मानॆ का ॥१९॥
इंसानियत चौराहॊं पॆ, नीलाम हॊ रही है अब,
ईमान मॊहताज़ है खुद की आबरू बचानॆ का ॥२०॥
हवॆलियॊं मॆं क्या नहीं हॊता, आज कल भला,
नाम अख़बारॊं मॆं छपता है,फ़क्त डाकखानॆ का ॥२१॥
मुँह तॊ काला हॊना ही था,एक दिन सभी का,
काम क्या था कॊयलॆ की, दलाली मॆं खानॆ का ॥२२॥
लटकाया कसाब कॊ पर,करॊड़ॊं फ़ूँकनॆ कॆ बाद,
मतलब क्या निकला उसॆ,बिर्यानी खिलानॆ का ॥२३॥
भूत बन कॆ सतायॆंगॆ, हमारॆ कैदियॊं कॊ दॊनॊं,
अच्छा नहीं लगा तरीका,जॆल मॆं दफ़नानॆ का ॥२४॥
सरकार अपनी आशावादी,है यॆ मानता हूं मैं,
शायद रिसर्च जारी हॊ, मुर्दॊं सॆ उगलवानॆ का ॥२५॥
क्यॊं त्यॊहारॊं कॆ बहानॆ, गलॆ मिलतॆ है लॊग,
हमारॆ यहाँ चलन है, रॊज गलॆ सॆ लगानॆ का ॥२६॥
हाँथ मिलानॆ सॆ रिश्तॆ,यॆ मज़बूत हॊतॆ नहीं हैं,
चलन हॊना चाहियॆ दिल सॆ, दिल मिलानॆ का ॥२७॥
यॆ नफ़रत का बगीचा, सियासत नॆ लगाया है,
नायाब तरीका है उसका, यही कुर्सी बचानॆ का ॥२८॥
सियासी दरिन्दॊं का खॆल नहीं,तॊ और क्या है,
हौसला किस मॆं है वरना, बस्तियाँ जलानॆ का ॥२९॥
यॆ ज़माना मॆरी भी, ऎसी तैसी कर दॆता मगर,
मुझॆ आता है हुनर खॊटॆ,सिक्कॊं कॊ चलानॆ का ॥३०॥
नॆताऒं सॆ सीखा है हुनर, हमनॆं भी यॆ "राज",
अँगूठा चूमनॆ का पहलॆ फ़िर अँगूठा दिखानॆ का ॥३१॥
कवि-"राज बुन्दॆली"
२१/०२/१३
Comment
rajesh kumari ji bahut bahut aabhaar aapka,,,,,,,,,,,,,
Manoj Nautiyal,,,,,जी,,,,इस स्नेह के लिये दिल से आभार आपका,,,,,,,
ajay yadav,,,,,,, जी,,,,,इस स्नेह के लिये दिल से आभार आपका,,,,,,,,
vijay nikore,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आपको प्रणाम करता हूं इस स्नेह के लिये,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,,,,
वीनस केसरी,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आपको प्रणाम करता हूं इस स्नेह के लिये,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,,,,
Ashok Kumar Raktale,,, ,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आपको प्रणाम करता हूं इस स्नेह के लिये,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,,,,
Dr.Prachi Singh,,,,,जी,,,,आदरणीया,,,,आपको प्रणाम करता हूं इस स्नेह के लिये,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,,,,
Dr.Ajay Khare ,,,,,जी,,,,आदरणीय,,,,आपको प्रणाम करता हूं इस स्नेह के लिये,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,,,,
आदरणीय,,,, Saurabh Pandey जी गज़ल के मामले मे मै अभी बच्चा हूं,,,प्रयास कर रहा हूं आप लोगो से कुछ सीखने का,,,, आपको प्रणाम करता हूं इस स्नेह के लिये,,,,,,,,,,आभार,,,,,,,,,,,,,
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