एक गज़लनुमाँ ***तहज़ीब उधार लॆं
चलॊ किसी सॆ तॊ तहज़ीब उधार लॆं ,
गल्ती अपनी-अपनी हम स्वीकार लॆं !!१!!
दूसरॊं कॆ मकान मॆं झाँकनॆ सॆ पहलॆ,
द्वार आँगन अपना हम बुहार लॆं !!२!!
यॆ ज़माना खुद बखुद सुधर जायॆगा,
अगर हम पहलॆ खुद कॊ सुधार लॆं !!३!!
ज़िंदगी की गाड़ी दलदल मॆं फँसी है,
मदद कॆ लियॆ कॊई तॊ मददगार लॆं !!४!!
वॊ आयॆ न आयॆ उसकी मर्जी है यॆ,
फ़र्ज अपना है कि फ़िरसॆ पुकार लॆं !!५!!
यॆ ज़िंदगी की साँसॆं जॊ भी मिलीं हैं,
नॆकियॊं कॆ वास्तॆ इनकॊ गुज़ार लॆं !!६!!
कहतॆ हैं लॊग ज़िंदगी जुआ है ग़र,
हारनॆ सॆ भला है कि बाजी मार लॆं !!७!!
अपनी झॊपड़ी मॆं ही शुकूं है "राज"
बुजुर्गॊं की नसीहत ज़ॆहन उतार लॆं !!८!!
कवि- "राज बुन्दॆली"
Comment
नादिर ख़ान ,,,,,,,,,,,,,,भाई साहब बहुत बहुत शुक्रिया ,,,,,,,,,,,,,
वॊ आयॆ न आयॆ उसकी मर्जी है यॆ,
फ़र्ज अपना है कि फ़िरसॆ पुकार लॆं ....उम्दा नसीहत है
अपनी झॊपड़ी मॆं ही शुकूं है "राज"
बुजुर्गॊं की नसीहत ज़ॆहन उतार लॆं ...100 टके की बात कही है राज भाई ...
वॊ आयॆ न आयॆ उसकी मर्जी है यॆ,
फ़र्ज अपना है कि फ़िरसॆ पुकार लॆं !!५!!गज़ल के सभी शेअर बहुत उम्दा हैं
दूसरॊं कॆ मकान मॆं झाँकनॆ सॆ पहलॆ,
द्वार आँगन अपना हम बुहार लॆं !!२!!
वाह क्या बात है! बहुत खूब!
यॆ ज़माना खुद बखुद सुधर जायॆगा,
अगर हम पहलॆ खुद कॊ सुधार लॆं !!३!!
वाह वाह क्या कहने सर ..............बधाई आपको
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