For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भारत माँ की जय बॊलॊ
=================
प्रॆम प्रणय कॆ अनुबंधॊं सॆ, मॆरा कॊई संबंध नहीं हैं !!
बिंदिया पायल कंगन कजरा, मॆरॆ तट बन्ध नहीं हैं !!
ना कॊई खॆल खिलौनॆ, ना गुब्बारॆ भर कर लाया हूँ !!
आज तुम्हारॆ चरणॊं मॆं, बस अंगारॆ लॆ कर आया हूँ !!

मिट्टी की अजब मिठास कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!
मॆरॆ जीवन की हर सांस कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!१!!

मॆरी कविता की बस कॆवल, इतनी ही परिभाषा है !!
श्रृँगार-सुरा कॆ बॊल नही यह,दिनकर वाली भाषा है !!
हिमाद्रि-तुंग सा ऊँचा मस्तक, इसका तना हुआ है !!
वीर शहीदॊं कॆ शॊणित सॆ, हर अक्षर सना हुआ है !!

प्यासॆ अधरॊं की प्यास कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!२!!
मॆरॆ जीवन की हर सांस कहॆगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

भारत माँ का वंदन करनॆ,शीश झुकायॆ खड़ा हुआ हूँ !!
इसकी ही लॊरी सुन सुन कर,मैं इतना बड़ा हुआ हूँ !!
अमर शहीदॊं की गाथायॆं, माँ रॊज सुनाया करती थी !!
दर्पण कॆ बदलॆ भारत की,तस्वीर दिखाया करती थी !!

शक्ति-स्वरूपा की आस कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!३!!
मॆरॆ जीवन की हर सांस,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

पहला वंदन है मॆरा भारत की, इस पावन माटी कॊ !!
दूजा वंदन करता हूँ मैं, महाराणा की हल्दीघाटी कॊ !!
तीजा वंदन छत्रसाल कॆ,रण कौशल और जवानी कॊ !!
शत-शत वंदन करता हूँ मैं,झाँसी वाली महारानी कॊ !!

वीर शिवा की अभिलाष कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!४!!
मॆरॆ जीवन की हर सांस,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

कवि- "राज बुन्दॆली"
०४/०२/२०१३

Views: 630

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 7, 2013 at 10:00am

BHAVANA TIWARI जी,,,,आदरणीया आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 7, 2013 at 9:59am

Rajesh Kumar Jha जी,,,,आदरणीय आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 7, 2013 at 9:58am

SANDEEP KUMAR PATEL जी,,,,आदरणीय आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 7, 2013 at 9:57am

Laxman Prasad Ladiwala जी,,,,आदरणीय आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 6, 2013 at 9:40pm

Saurabh Pandey

आदरणीय आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by भावना तिवारी on February 6, 2013 at 5:35pm

प्रॆम प्रणय कॆ अनुबंधॊं सॆ, मॆरा कॊई संबंध नहीं हैं !!
बिंदिया पायल कंगन कजरा, मॆरॆ तट बन्ध नहीं हैं !!
ना कॊई खॆल खिलौनॆ, ना गुब्बारॆ भर कर लाया हूँ !!
आज तुम्हारॆ चरणॊं मॆं, बस अंगारॆ लॆ कर आया हूँ !!...............WAAH 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 6, 2013 at 11:16am

वीर शिवा की अभिलाष कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ

मॆरॆ जीवन की हर सांस कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ--बहुत सुन्दर रचना कवी राज बुन्देली जी 
ऐसी जोह भरी रचना राष्ट्र कवि दिनकर की यशोधरा में, श्याम नारायण पाण्डेय की हल्दी घाटी,
जयपुर मेघ राज्मुकुल की ;सैनाणी" चन्द्र कुमार सुकुमार -"हे भारत के लोगो जॉगो फिर हथियार सम्भालों रे" में पढने को मिलते है, जिनकी याद ताजा हो गयी 
हार्दिक आभार स्वीकारें

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2013 at 1:28am

राज भाईजी, आपकी ओजस्वी कविता से रोमांच हो आया है. बहुत सुन्दर प्रयास और अच्छी रचना केलिए दिल से बधाई.. .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 5, 2013 at 7:31pm

जय हो

सुन्दर वीर रस में पगी इस रचना को प्रणाम कविवर

बहुत बहुत बधाई

Comment by राजेश 'मृदु' on February 5, 2013 at 6:38pm

मॆरी कविता की बस कॆवल, इतनी ही परिभाषा है !!
श्रृँगार-सुरा कॆ बॊल नही यह,दिनकर वाली भाषा है !!

क्‍या लिखा है बुंदेली साहब, बुलंद आवाज और बुलंद अल्‍फ़ाज, बहुत सुंदर लगी आपकी रचना, सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service