भारत माँ की जय बॊलॊ
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प्रॆम प्रणय कॆ अनुबंधॊं सॆ, मॆरा कॊई संबंध नहीं हैं !!
बिंदिया पायल कंगन कजरा, मॆरॆ तट बन्ध नहीं हैं !!
ना कॊई खॆल खिलौनॆ, ना गुब्बारॆ भर कर लाया हूँ !!
आज तुम्हारॆ चरणॊं मॆं, बस अंगारॆ लॆ कर आया हूँ !!
मिट्टी की अजब मिठास कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!
मॆरॆ जीवन की हर सांस कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!१!!
मॆरी कविता की बस कॆवल, इतनी ही परिभाषा है !!
श्रृँगार-सुरा कॆ बॊल नही यह,दिनकर वाली भाषा है !!
हिमाद्रि-तुंग सा ऊँचा मस्तक, इसका तना हुआ है !!
वीर शहीदॊं कॆ शॊणित सॆ, हर अक्षर सना हुआ है !!
प्यासॆ अधरॊं की प्यास कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!२!!
मॆरॆ जीवन की हर सांस कहॆगी,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
भारत माँ का वंदन करनॆ,शीश झुकायॆ खड़ा हुआ हूँ !!
इसकी ही लॊरी सुन सुन कर,मैं इतना बड़ा हुआ हूँ !!
अमर शहीदॊं की गाथायॆं, माँ रॊज सुनाया करती थी !!
दर्पण कॆ बदलॆ भारत की,तस्वीर दिखाया करती थी !!
शक्ति-स्वरूपा की आस कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!३!!
मॆरॆ जीवन की हर सांस,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
पहला वंदन है मॆरा भारत की, इस पावन माटी कॊ !!
दूजा वंदन करता हूँ मैं, महाराणा की हल्दीघाटी कॊ !!
तीजा वंदन छत्रसाल कॆ,रण कौशल और जवानी कॊ !!
शत-शत वंदन करता हूँ मैं,झाँसी वाली महारानी कॊ !!
वीर शिवा की अभिलाष कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ !!४!!
मॆरॆ जीवन की हर सांस,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
कवि- "राज बुन्दॆली"
०४/०२/२०१३
Comment
BHAVANA TIWARI जी,,,,आदरणीया आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,
Rajesh Kumar Jha जी,,,,आदरणीय आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,
SANDEEP KUMAR PATEL जी,,,,आदरणीय आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,
Laxman Prasad Ladiwala जी,,,,आदरणीय आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,
आदरणीय आपने मेरे टूटॆ फूटॆ शब्दो को अपना स्नेह दिया मैं आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,,,,,,
प्रॆम प्रणय कॆ अनुबंधॊं सॆ, मॆरा कॊई संबंध नहीं हैं !!
बिंदिया पायल कंगन कजरा, मॆरॆ तट बन्ध नहीं हैं !!
ना कॊई खॆल खिलौनॆ, ना गुब्बारॆ भर कर लाया हूँ !!
आज तुम्हारॆ चरणॊं मॆं, बस अंगारॆ लॆ कर आया हूँ !!...............WAAH
वीर शिवा की अभिलाष कहॆगी, भारत माँ की जय बॊलॊ
राज भाईजी, आपकी ओजस्वी कविता से रोमांच हो आया है. बहुत सुन्दर प्रयास और अच्छी रचना केलिए दिल से बधाई.. .
जय हो
सुन्दर वीर रस में पगी इस रचना को प्रणाम कविवर
बहुत बहुत बधाई
मॆरी कविता की बस कॆवल, इतनी ही परिभाषा है !!
श्रृँगार-सुरा कॆ बॊल नही यह,दिनकर वाली भाषा है !!
क्या लिखा है बुंदेली साहब, बुलंद आवाज और बुलंद अल्फ़ाज, बहुत सुंदर लगी आपकी रचना, सादर
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