For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जिसके हक़ में, मैं सदा, दिल से दुआ करता रहा |

वो हमेशा, मुझपे जाने, क्यूँ शुबहा करता रहा ||

दोस्त था कहने को मेरा, दोस्ती न कर सका |

दोस्ती के नाम पर ही वो, दगा करता रहा ||

हमकदम था चल रहा, पर हमनफस न बन सका |

मैं भला करता रहा, और वो बुरा करता रहा ||

जिसकी खुशियों के लिए, मैं मन्नतें माँगा किया |

वो मेरे दिल को हमेशा, ही धुआँ करता रहा ||

जब भी उससे नेक-ओ-बद का, तज़करा मैंने किया |

वो ‘शशि की बात अक्सर, अनसुना करता रहा || 

Views: 472

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by pawan amba on February 27, 2013 at 4:33pm

वो हमेशा, मुझपे जाने, क्यूँ शुबहा करता रहा ||...bahut hi khubsurat 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 26, 2013 at 5:17pm

नादिर भाई, इस ग़ज़ल में काफ़िया ’आ’ और रदीफ़ ’करता रहा’ बन रहा है. इस हिसाब से किसी शब्द का आखिरी अक्षर काफ़िया के रूप में ’आँ’ बनना गलत ही होगा.

Comment by नादिर ख़ान on February 26, 2013 at 5:08pm

जिसके हक़ में, मैं सदा, दिल से दुआ करता रहा
वो हमेशा, मुझपे जाने, क्यूँ शुबहा करता रहा

बहुत उम्दा मतला है शशी मेहरा जी
काफिया आपने आ की मात्रा ली है पर यहाँ धुआँ  kafiya आं पर है , क्या यह  लिया जा सकता ।है मेरी जानकारी थोड़ी कम है, कृपया मार्गदर्शन करें।

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 25, 2013 at 8:56pm
एक लाजवाब गजल के लिये बधाई आदरणीय।

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2013 at 8:46pm

बधाई. .

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 25, 2013 at 8:14pm

बेहतरीन लाजवाब क्या बात है दाद क़ुबूल कीजिये साहिब .............वाह वा

Comment by बृजेश नीरज on February 25, 2013 at 6:10pm

जिसकी खुशियों के लिए, मैं मन्नतें माँगा किया |

वो मेरे दिल को हमेशा, ही धुआँ करता रहा ||

बहुत सुन्दर बात कही आपने। इस बेहतरीन रचना के लिए मेरी बधाई स्वीकार करें।

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 25, 2013 at 6:06pm
सुन्दर रचना, बधाई शशि महरा जी, 

दोस्त जिसको शशी कहे, काहे का वह यार

छान बीन पहले करे, तब  हो बेडा   पार । 
दोस्त रहे  या नहि रहे, रखना उसका मान,
वर्ना होगी दुश्मनी,  इतना  पहले  जान । - लक्ष्मण 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मंच संचालक जी , मेरी रचना  में जो गलतियाँ इंगित की गईं थीं उन्हे सुधारने का प्रयास किया…"
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 178 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, प्रस्तुत रोला छंदों पर उत्साहवर्धन हेतु आपका…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    आदरणीय गिरिराज जी सादर, प्रस्तुत छंदों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी छंदों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय गिरिराज जी छंदों पर उपस्थित और प्रशंसा के लिए हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक जी छंदों की  प्रशंसा और उत्साहवर्धन के लिये हार्दिक आभार "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय मयंक कुमार जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
" छंदों की प्रशंसा के लिये हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"    गाँवों का यह दृश्य, आम है बिलकुल इतना। आज  शहर  बिन भीड़, लगे है सूना…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service