For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कसम खुदा की हमे तुमसे प्यार आज भी है
वो दोस्ती की तड़प बरकरार आज भी है

मेरी वफ़ा का तुझे ऐतबार हो की न हो
तेरी वफ़ा का ऐतबार आज भी है

तेरी जुदाई को सदिया गुज़र गयी लेकिन
तेरी जुदाई में दिल अश्कबार आज भी है

हमारी चाह में कोई कमी नहीं आई
तुम्हारे वास्ते सब कुछ निसार आज भी है

वो एक नज़र मुझे बर्बाद कर दिया जिसने
उसी नज़र का मुझे इंतज़ार आज भी है

वफ़ा का रंग मोहब्बत की बू नहीं मिलती
चमन में होने को यू तो बहार आज भी है

तेरी नज़र से जो मैंने पिया था जाम कभी
उस एक जाम का "हमदम" खुमार आज भी है

Views: 368

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Admin on May 8, 2010 at 9:12pm
वफ़ा का रंग मोहब्बत की बू नहीं मिलती
चमन में होने को यू तो बहार आज भी है

तेरी नज़र से जो मैंने पिया था जाम कभी
उस एक जाम का "हमदम" खुमार आज भी है

अलीम जी देर से टिप्पणी करने के लिए शर्मिन्दा हू, पता ना कैसे इस गज़ल को मै देख नही सका था, बहुत ही अच्छी गज़ल पेश किया है आपने,बहुत बहुत धन्यबाद है आपको,
Comment by asha pandey ojha on May 6, 2010 at 10:27am
अश्कबार आज भी है हमारी चाह में कोई कमी नहीं आई तुम्हारे वास्ते सब कुछ निसार आज भी है वो एक नज़र मुझे बर्बाद कर दिया जिसने उसी नज़र का मुझे इंतज़ार आज भी है..har ek lafz zehan me katar kee tarh utrata chala gya ..dil apne gam se bachne ko yahan aaya tha ..aapke gam me chla gya..
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on May 6, 2010 at 12:37am
bahut accha likha hai aapne aleem jee.........i m impressed......
कसम खुदा की हमे तुमसे प्यार आज भी है
वो दोस्ती की तड़प बरकरार आज भी है
bahut badhiya aisehi likhte rahe............bahut badhiya likh rahe hain...plzz keep it up...
Comment by Ratnesh Raman Pathak on May 6, 2010 at 12:11am
aapne to in chhote se sabdo me wo sari batein kah dali jo ki puri kitab me nahi ho sakti..............................really i am very impressed

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 5, 2010 at 11:48pm
हमारी चाह में कोई कमी नहीं आई
तुम्हारे वास्ते सब कुछ निसार आज भी है

वो एक नज़र मुझे बर्बाद कर दिया जिसने
उसी नज़र का मुझे इंतज़ार आज भी है

वाह अलीम भाई वाह, ये मुहब्बत से भीगी हुई खुशबूदार ग़ज़ल वाकई शानदार है, दिल का दर्द धीरे धीरे बाहर आ रहा है, हा हा हा हा हा , बहुत सुन्दर रचना , एक बार फिर आप ने अपने कलम का जादू चला दिया है, धन्यवाद,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"सभी सदस्यों को यह बात स्पष्ट रूप से समझ लेना चाहिए कि यह पटल एक व्यवस्था है, व्यक्ति नहीं और किसी…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale posted a blog post

मनहरण घनाक्षरी

रिश्तों का विशाल रूप, पूर्ण चन्द्र का स्वरूप,छाँव धूप नूर-ज़ार, प्यार होतीं बेटियाँ।वंश  के  विराट…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा षष्ठक. . . . आतंक

दोहा षष्ठक. . . .  आतंकवहशी दरिन्दे क्या जानें , क्या होता सिन्दूर ।जिसे मिटाया था किसी ,  आँखों का…See More
1 hour ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"स्वागतम"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a discussion

पटल पर सदस्य-विशेष का भाषयी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178 के आयोजन के क्रम में विषय से परे कुछ ऐसे बिन्दुओं को लेकर हुई…See More
8 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, यक़ीन मानिए मैं उन लोगों में से कतई नहीं जिन पर आपकी  धौंस चल जाती हो।  मुझसे…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय मैं नाम नहीं लूँगा पर कई ओबीओ के सदस्य हैं जो इस्लाह  और अपनी शंकाओं के समाधान हेतु…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय  बात ऐसी है ना तो ओबीओ मुझे सैलेरी देता है ना समर सर को। हम यहाँ सेवा भाव से जुड़े हुए…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"आदरणीय, वैसे तो मैं एक्सप्लेनेशन नहीं देता पर मैं ना तो हिंदी का पक्षधर हूँ न उर्दू का। मेरा…"
Saturday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नीलेश जी, मैंने ओबीओ के सारे आयोजन पढ़ें हैं और ब्लॉग भी । आपके बेकार के कुतर्क और मुँहज़ोरी भी…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन, ' रिया' जी,अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया आपने, विद्वत जनों के सुझावों पर ध्यान दीजिएगा,…"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-178
"नमन,  'रिया' जी, अच्छा ग़ज़ल का प्रयास किया, आपने ।लेकिन विद्वत जनों के सुझाव अमूल्य…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service