आखरी वादा ..........
मैं तुझे भूल जाऊं,ना कभी याद आऊँ
यह आखरी वादा तुमने मुझसे ही लिया
जिस पल भी तेरी याद आयी
उस पल को ही मिटा दिया
काश, हवाओं को भी कुछ कह जाती
मौसमो को भी यह कसम दे जाती
हवाएँ पूछती रही उस गुलबदन का पता
जिसे छू कर वो महकती थीं
बारिश की बूंदे ज़ुल्फो को तरसती रही
जिन पर गिर, धीरे धीरे फिसलती थीं
वो तारा अब दिन मे भी निकलता है
जिसे तुम मेरी चमकती तकदीर कहती थी
वह पेड़ आज भी उतना ही घना है
छाँव मे जिसकी,तुम इंतज़ार करती थी
अपने पत्तों को भी उसने गिरने ना दिया
इन सब ने तेरी याद मे
चैन से मुझे जीने ना दिया
पर मेरी पाक मोहब्बत ने
यह आखरी वादा भी पूरा किया...........
[मौलिक व अप्रकाशित]
Comment
KISHAN KUMAR Ji........ Meena Pathak Ji .........DILEEP KUMAR JAISWAL sahab....aap sb ka dhanywaad....
पर मेरी पाक मोहब्बत ने
यह आखरी वादा भी पूरा किया...........
ye line mujhako bhi bahot pasand aayi......
बहुत बहुत सुन्दर रचना .. बधाई
बहुत बहुत आभार आपका राम शिरोमणि पाठक जी,,,ram shiromani pathak ji
इन सब ने तेरी याद मे
चैन से मुझे जीने ना दिया
पर मेरी पाक मोहब्बत ने
यह आखरी वादा भी पूरा किया...........
ये पंक्तिया मुझे बहोत अच्छी लगी आदरणीय पवन जी ......हार्दिक बधाई
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