पवन का:- दुख...
लड्डू बने,थालिया बजी
लड़कों के होने पर
घर घर मिठाइयाँ बंटी
घर खुशियों से और
चेहरा अकड़ से भर गया ...
चूल्हे चाहे ठंडे रहे
अपना पेट जला
इनका दिल ठंडा किया
फटी जेब की पेंट पहन
सब अरमानो को पूरा किया...
आँसुओं पर पहरा रक्खा
बच्चों की आँखो का रुख़ ना करें
इनकी तो खुश्क हो गयी
अपनी आँखों मे समंदर उतर गया ....
एक की आँखों मे दुख के आँसू
दूसरे बेटे की आँखों मे खून उतर गया
वसीयत इतनी हल्की निकली
बाप ना संभला
और नज़रों से उतर गया ....
ना जाने क्या कमी रह गयी
हमारी शिक्षा और संस्कारों मे
सारी आशाएँ झुर्रियाँ बनी
समय से पहले चेहरा भर गया ....
[मौलिक व अप्रकाशित]
Comment
बहुत मार्मिक !
शुभकामनायें
सादर
Saurabh Pandey ji aapke comnts mere liye prasaad ke samaan hai ....dhanywaad.....
भाई पवनजी, एक बुजुर्ग के एकाकी दुख को साझा करने के लिए हार्दिक धन्यवाद.
बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज).ji.. रविकर.ji.. ram shiromani pathakji... Dr.Prachi Singh ji aap sb kaa dil ke har kone se aabhaar.....
बहुत मर्मस्पर्शी रचना..
मातापिता किस तरह बेटों के जन्म पर खुशियाँ मनाते हैं, अपनी ख्वाहिशों को रौंद बच्चों के सपने पूरे करते हैं... और अंततः वसीयत किस तरह उन्हें स्वार्थ से भर अजनबी कर देती है...उफ्फ्फ परवरिश में कहाँ कमी रह गयी...यह सवाल और कोइ जवाब नहीं.
इस दर्द को बाखूबी व्यक्त किया है आपने रचना में..
सुन्दर अभिव्यक्ति.
बड़ी मार्मिक रचना है ! बधाई हो आदरणीय पवन जी
आभार आदरणीय-
बढ़िया प्रस्तुति ||
सच लिखा आपने। प्रेम से ज्यादा अब वसीयत का मोल रह गया।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online