For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

विशेष दिन....

कलैंडर कैसा भी हो

अंधेरे मे भी चमकती है वो
मुझे अपने महबूब से भी
अधिक खूबसूरत लगती है वो...

शादी की हो सालगिरह या जन्मदिन
साल मे आते केवल एक बार
मगर हर महीने इनसे भी अधिक
खुशियाँ लाती है वो.....

गुजर जाता है पूरा महीना
बजट बनाते बनाते
गर शनिवार हुआ उस दिन 

बहुत रौनक लाती है वो....

हमारे जैसे नोकरी वालों की
हर दिल अज़ीज़ है
जो मेरे दिल के करीब है
हर महीने की सात तारीख है वो......

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 392

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 8, 2013 at 10:22pm

वाह! सुन्दर रचना सच है सेलेरी वाला दिन किसे अच्छा नहीं लगता मगर गीत 'खुश है ज़माना आज पहली तारीख है....." तो अवश्य सुना है किन्तु सात तारीख का गीत आज पहली बार सुन रहा हूँ. लगता है कहीं खुशियाँ भी कुछ दिन तरसा कर दर्शन दे रही है. फिर भी मैं तो यही कहूंगा मिली तो सही...

Comment by राजेश 'मृदु' on March 7, 2013 at 6:08pm

मिलती जितनी सैलरी, झट से है उड़ जात, पहले भी खाली हाथ थे, अब भी खाली हाथ । मैं सैलरी वाले दिन सबसे अधिक दुखी रहता हूं क्‍योंकि पता होता है कि यह हाथ में रहने वाली नहीं है कुछ बीवी उड़ाएगी कुछ बच्‍चे ले जाएंगें, फक्‍कड़ बाबा तो हमेशा फककड़ ही रह जाएंगें , आपकी संवेदना सार्वभौमिक है, सादर

Comment by vijay nikore on March 7, 2013 at 3:26pm

 

रचना रोचक है। बधाई।

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 7, 2013 at 2:24pm

हमतो आज भी पहली तारीख ही गाते हैं. भाई, भाग्य-भाग्य की बात !!!. .

 :-)))))

Comment by ram shiromani pathak on March 7, 2013 at 11:00am

बिलकुल सही कहा आपने सात तारिख यानी पेमेंट मिलने का दिन!

हर वेतनभोगी को उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार रहता है!

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on March 7, 2013 at 10:32am

हर दिल अजीज का तो बेसब्री से इन्तजार होता ही है, चाहे वह वास्तु हो, दिन हो, प्रिय हो, जो भी हो 

इन्जार की घडिया ख़त्म होते ही अगली बार के लिए फिर इन्तजार में दिन गिनने शुरू हो जाते है |

अच्छी कल्पना कर रचना करने हेतु बधाई |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 7, 2013 at 10:30am

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति..

सचमुच बहुत ख़ास होती है हर माह की सात तारीख.

हार्दिक बधाई.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 7, 2013 at 4:28am

बिलकुल सही कहा आपने सात तारिख यानी पेमेंट मिलने का दिन!

हर वेतनभोगी को उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार रहता है!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

जमा है धुंध का बादल

  चला क्या आज दुनिया में बताने को वही आया जमा है धुंध का बादल हटाने को वही आयाजरा सोचो कभी झगड़े भला…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
आशीष यादव posted a blog post

जाने तुमको क्या क्या कहता

तेरी बात अगर छिड़ जातीजाने तुमको क्या क्या कहतासूरज चंदा तारे उपवनझील समंदर दरिया कहताकहता तेरे…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Jan 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service