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जय अम्बे जय मातु भवानी

जय जननी जय जगकल्यानी

जय बगुला जय विन्ध्यवासिनी

जय वैष्णव जय सिंहवाहिनी

 

कण कण में है वास तिहारा

तुम जग की हो पालनहारा

करूणा की हो सागर माता

तू सबकी है भाग्य विधाता

 

दूजा को है तुम सम ज्ञानी

मैया तू जग की महरानी

हम सब माता बालक तेरे

हित अनहित सब है वश तेरे

 

शरण पड़े माता हम तोरे

विनती करूं मात कर जोरे

इन चरणों में शीश नवावें

तेरी महिमा नित प्रति गावें

               - बृजेश नीरज

 

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Comment

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Comment by रविकर on March 3, 2013 at 12:53pm

सादर नमन-

आपका आभार आदरणीय-

Comment by pawan amba on March 3, 2013 at 12:38pm

इन चरणों में शीश नवावें

तेरी महिमा नित प्रति गावें.....जय माता दी ..

Comment by ram shiromani pathak on March 3, 2013 at 11:39am

आदरणीय बृजेश कुमार सिंह (बृजेश नीरज)  जी बधाई स्वीकारें !!!!!!!!!!!बहोत ही बढ़िया .............जय माता दी 

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