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दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय -

मौलिक / अप्रकाशित

दीमक बिच्छू साँप से, पाला पड़ता जाय ।

पाला इस गणतंत्र ने, पाला आम नशाय ।

पाला आम नशाय, पालता ख़ास सँपोला ।

भानुमती ने पुन:, पिटारा कुनबा खोला ।

पालागन सरकार, बनाओ रविकर अहमक ।

निगलो भारत देश, मौज में रानी दीमक ।।

पाला पढ़ना= मुहावरा

पाला= पालना / जल की बूंदे जो सर्दियों में (आम ) फसल बर्बाद कर देती है /

पालागन = प्रणाम

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Comment by रविकर on March 5, 2013 at 4:54pm

आभार आदरणीय-

Comment by ram shiromani pathak on March 5, 2013 at 2:34pm

आदरणीय इस रचना के लिए मेरी बधाई और सादर प्रणाम!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2013 at 12:27pm

आदरणीय रविकर जी, यह सही है कि पुनः की मात्रा १+२ के कारण ३ ही होगी लेकिन यह त्रिकल कुण्डलिया के रोला वाले भाग में विषम चरणांत है अतः उसका विन्यास २+१ की तरह होना चाहिये, जैसा कि आपने इसी कुण्डलिया के रोला वाले भाग के अन्य विषम चरणांतों को लिया है. जैसे, नशाय, सरकार, देश. ऐसा ही व्यवहार सम्मत है

वस्तुतः, रोला के लिए शब्द विन्यास, आदरणीय, यों कहते हैं -

विषम चरण -  ४+४+३   या,  ३+३+२+३

सम चरण -  ३+२+४+४  या, ३+२+३+३+२

इसके साथ ही, व्यवहार सम्मत यह भी है कि विषम का चरणांत गुरु लघु  या लघु लघु लघु हो.

तथा, इसी क्रम में सम चरणों का अंत गुरु गुरु, लघु लघु गुरु या, गुरु लघु लघु या लघु लघु लघु लघु  हो.

आदरणीय, हमने इसी व्यवहार सम्मत प्रचलन को पुनः शब्द के क्रम में रेखांकित किया है.

सादर

Comment by रविकर on March 5, 2013 at 9:17am

आभार आदरणीय जवाहर लाल जी ||

Comment by रविकर on March 5, 2013 at 9:16am

आभार आदरणीय सौरभ सर -
कुछ सुझाव आदरणीय-
पुन: की कुल मात्रा तीन मानी है-


मार्गदर्शन करने का कष्ट करें-
सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 5, 2013 at 7:21am

आदरणीय रविकर भाई,  दीमक रानी मौज मनानी.. .  :-))

अच्छा व्यंग्य वह भी यमक और श्लेष के जोर पर ! बहुत-बहुत बधाई.. .

एक बात :  भानुमती ने पुन:  के पुनः को देख लीजिये.  पर विसर्ग होने से ’न’ की मात्रा २ या ’न’ गुरु का हो गया है.

सादर

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 4, 2013 at 9:49pm

सटीक और समयानुकूल 

Comment by रविकर on March 4, 2013 at 8:31pm

आभार आप सभी महानुभावों का -
सादर

Comment by आशीष नैथानी 'सलिल' on March 4, 2013 at 7:50pm

क्या बात है !!! आज के हालात का सटीक वर्णन ।
हार्दिक बधाइयाँ आदरणीय रविकर जी |

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 4, 2013 at 7:32pm
बहुत सुन्दर कुण्डलियों के बधाई आदरणीय रविकर जी।

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