बहर : २१२२ ११२२ ११२२ २२
-------------------------------------
करके उपवास तू उसको न सता मान भी जा
तेरे अंदर भी तो रहता है ख़ुदा मान भी जा
सिर्फ़ करने से दुआ रोग न मिटता कोई
है तो कड़वी ही मगर पी ले दवा मान भी जा
गर है बेताब रगों से ये निकलने के लिए
कर लहू दान कोई जान बचा मान भी जा
बारहा सोच तुझे रब ने क्यूँ बख़्शा है दिमाग
सिर्फ़ इबादत को तो काफ़ी था गला मान भी जा
अंधविश्वास, अशिक्षा और घर घुसरापन
है गरीबी इन्हीं पापों की सजा मान भी जा
-----------------
(स्वरचित एवं अप्रकाशित)
Comment
बहुत बहुत धन्यवाद Ashok Kumar Raktale साहब
सिर्फ़ करने से दुआ रोग न मिटता कोई
है तो कड़वी ही मगर पी ले दवा मान भी जा...........वाह! बहुत खूब.
उम्दा गजल.सादर दिली दाद कुबुलें आदरणीय धर्मेन्द्र जी.
बहुत बहुत धन्यवाद vijay nikore जी, स्नेह बनाये रखें
शुक्रिया Laxman Prasad Ladiwala जी
आभारी हूँ by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" साहब
बहुत बहुत धन्यवाद PRADEEP जी
बहुत बहुत धन्यवाद Saurabh Pandey जी, स्नेह यूँ ही अनवरत बनाये रखें
धर्मेन्द्र जी,
अच्छी गज़ल के लिए बधाई।
सादर,
विजय निकोर
गजल का प्रत्येक शेर ही उम्दा है श्री धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई स्वीकारे
धर्मेंद्र भाई नमस्कार ! क्या खूब कहा है जनाब॥कुर्बान जाऊन ऐसी ग़ज़ल पे।
एक एक शेर बोल रहा है....
पूरी ग़ज़ल ही शानदार हुई है॥
दाद कुबूल हो !
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online