जब ढल जाती है रात
कृष्ण-पक्ष की काली गह्वर सी अकेली,
एक सितारा टिमटिमाता हुआ
उलटा लटका सा नज़र आता है.
शय्या पर बैठी उनींदी,
एक सांस खींचती गहरी सी,
खोलती हूँ जब आँखें पूरी
दूर कहीं निगाह भटक जाती है.
निःस्तब्ध रात्रि और मेरा अकेलापन
अपने विचारों को समेटती,
अनगिनत नक्षत्रों को गिनती
रहती हूँ शून्य में खोई सी.
दूर कहीं बादल भटकते,
कुछ यादें शूल से चुभते,
बाग में पत्रहीन वृक्ष भीड़ में खड़ा,
हरीतिमा बीच रोता अकेला.
बचपन से यौवन तक
ज़िंदगी के भीड़ में, कितने
रिश्ते टूटे और कितने जुड़े
सोचती हूँ और खो जाती हूँ.
Comment
satvirji ,apko meri kavita pasand ayee . dhanyavad.
adarniya vijay ij, namaskar, apko meri kavita acchee lagee janekar mujhe bahoot khushi hui.bahut bahut dhanyavad
आदरणीया कुन्ती जी:
.....एक सितारा टिमटिमाता हुआ
उलटा लटका सा नज़र आता है.
.....खोलती हूँ जब आँखें पूरी
दूर कहीं निगाह भटक जाती है.
.....अनगिनत नक्षत्रों को गिनती
रहती हूँ शून्य में खोई सी.
.....बचपन से यौवन तक
ज़िंदगी के भीड़ में, कितने
रिश्ते टूटे और कितने जुड़े
सोचती हूँ और खो जाती हूँ.
कुन्ती जी, यह सभी भाव एक के बाद एक... बस मेरे अंतरमन को छूते गए।
कविता आपकी है, पर लिखते समय जैसे आपने मेरे मन को पढ़ लिया ...यह
आपने कैसे किया !
आपकी कविताओं की प्रतीक्षा रहती है।
इस सुन्दर कविता के लिए किन शब्दों से बधाई दूँ!
सादर और सस्नेह,
विजय निकोर
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online