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जब पाप कियो तुम भोर भये, दिन रात भला तुम का करिहो!
सब नाचत - गावत ताल दियो, तुम ताल तलैयन डूब रहो!!
फिर गंग तरंग बहे न बहे, रखि आपन मान बढ़ाय रहो!
इत डारि रहे खर-मैल बढे, उत गंग कषाय बढ़ाय रहो!!1

नित डारत हैं मल नालन कै, नहि दूसर देखि उपाय रहो!
तुम बालक गंग तरंगिनि कै, कलि कालहि मातु लजाय रहो!!
अब तो सिर सौं तुम लाज करो, यह देश तुझे ललकार रहो!
तुम शान कमान धरे उर मा, गण मान कहाय लुकाय रहो!!2

अपनी छतरी अपने लड़के, नहि होत सहाय तलाड़ रहो!
तुम गंग तरंगिनि के पहरा, फिर आंखन धूलहि झोंकि रहो!!
कहुं होलि गुलाल उडावत है, अब केसर टेशु जलाय रहो!
यह सत्यम बात करे न कहे, जन मानस रोज चिघांड़ रहो!!3
सत्यम/मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 26, 2013 at 6:08am

आदरणीय राम शिरोमणि पाठक जी, आप का बहुत बहुत हार्दिक आभार एवं धन्यवाद।

Comment by ram shiromani pathak on March 21, 2013 at 11:11am

बहुत सुन्दर सवैया आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 20, 2013 at 7:42pm

आदरणीय श्री योगी सारस्वत जी, आपको बहुत-बहुत धन्यवाद एवं आभार!

Comment by Yogi Saraswat on March 20, 2013 at 3:26pm

नित डारत हैं मल नालन कै, नहि दूसर देखि उपाय रहो!
तुम बालक गंग तरंगिनि कै, कलि कालहि मातु लजाय रहो!!
अब तो सिर सौं तुम लाज करो, यह देश तुझे ललकार रहो!
तुम शान कमान धरे उर मा, गण मान कहाय लुकाय रहो!!2

स्वागत है

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 19, 2013 at 7:21pm

आदरणीय अशोक कुमार रक्ताले जी, आपको सवैया अच्छी लगी, धन्यवाद एवं बहुत-बहुत आभार!

Comment by Ashok Kumar Raktale on March 19, 2013 at 12:47pm

अब तो सिर सौं तुम लाज करो, यह देश तुझे ललकार रहो!
तुम शान कमान धरे उर मा, गण मान कहाय लुकाय रहो!!..............शायद अब इनको याद आये.

 

बहुत सुन्दर सवैया आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर बधाई स्वीकारें.

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