For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम लिख देना इतिहास मेरे नाम से

तुम लिख देना इतिहास मेरे नाम से .
 
 
तुम लिख देना इतिहास मेरे नाम से 
तुम्हारे कडवे झूठो , तीखे बयानों से 
कितना भी कीचड़ उड़ेलो मेरे जज्बातों पर 
मैं बहार आऊँगी चन्दन की महक से 


मेरी मुखरता तुम्हे उद्वेलित करती हैं 
मेरी ख़ामोशी तुमको आक्रोशित करती हैं 
तुम कैसे स्वीकार सकते हो मेरे अस्तित्व को 
अंगीकार करो अपने हृदय को मेरी चहक से 

लहरों की तरफ उफान भी मुझ में 
चाँद की तरह शांत भी रह सकती हूँ 
सूरज/आग की तरह ज्वालामयी भी 
जल न जाना कही तुम इस दहक से 


तुमने चाहा हैं हमेशा मुझे बेचारी सा 
टूटा सा हो लहजा मेरा लाचारी सा 
स्व का अंश मात्र भी लेश मात्र न रहे 
पर्याय बन गये हो तुम आतंक से 


लफ्जों ने बींधा हैं मुझे तीर सा 
नजरो ने टटोला हैं मुझे नगरवधू सा 
संत्रास झेल रही हैं अब तुम्हारी पीढ़ी 
कम होती जा रही हमारी संख्यक से 


तुम आत्माभिमानी नही 
तुम स्वाभिमानी नही तुम 
लफ्ज़ तुम्हारे , तुम्हारे नही 
छोड़ जाते हैं गंदे निशान से 

 नही किस्मत की मारी 
बस हमेशा रिश्तो से हारी 
देह से जैसे भी हो 
पर मन से हमेशा प्यारी 


इतिहास लिखना सिर्फ तुम्हारी थाती नही 
अब नया इतिहास लिखना हमारी बारी हैं 


तुम लिख देना इतिहास मेरे नाम से 
मैं महकती रहूंगी इतिहास में 
चन्दन की महक सी 
सूरज की दहक सी 
विरोध की आतंक सी 
अपनी जात की संख्यक सी 
पवित्र निशान सी 
माँ के रूप में भगवन सी ........................ नीलिमा

 

Views: 497

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Meena Pathak on April 8, 2013 at 7:34pm

इतिहास लिखना सिर्फ तुम्हारी थाती नही 
अब नया इतिहास लिखना हमारी बारी हैं ......... बहुत सुन्दर रचना नीलिमा जी .. बधाई 

Comment by Neelima Sharma Nivia on April 8, 2013 at 4:44pm

thank u coontee mukerji ji

Comment by Neelima Sharma Nivia on April 8, 2013 at 4:44pm

Thank u so much Dr Prachi Singh ji 

Comment by coontee mukerji on March 26, 2013 at 10:47pm

नीलिमा जी अति सुन्दर रचना बधाई हो. होली की शुभकामनाएँ सहित .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 26, 2013 at 10:05pm

मेरी मुखरता तुम्हे उद्वेलित करती हैं 
मेरी ख़ामोशी तुमको आक्रोशित करती हैं .........किसी भी रूप से तुम्हे शान्ति नहीं, शायद तुम ही नहीं जानते तुम्हें चाहिए क्या?

तुमने चाहा हैं हमेशा मुझे बेचारी सा 
टूटा सा हो लहजा मेरा लाचारी सा ................स्त्री को अपनें इशारों पर नाचता सा ही चाहता रहा है पुरुष वर्ग, हमेशा पराधीन..

नही किस्मत की मारी 
बस हमेशा रिश्तो से हारी................फिर भी हार नहीं सकती, क्योंकि औरत है वो... औरत हारने का नाम ही नहीं 

इतिहास लिखना सिर्फ तुम्हारी थाती नही 
अब नया इतिहास लिखना हमारी बारी हैं..............बहुत जोशीले भाव, जो वर्तमान की धारा पलट इतिहास ही रच देंने में समर्थ हों 

पुरुष के दमन से आक्रोशित नारी के मन की संवेदना को सुंदरता से अभिव्यक्त किया है आदरणीया नीलिमा जी 

हार्दिक बधाई 

शुभकामनाएँ 

Comment by Neelima Sharma Nivia on March 26, 2013 at 8:02pm

Shukriya  Raj Sharma ji

Comment by राज लाली बटाला on March 26, 2013 at 7:44pm

तुम लिख देना इतिहास मेरे नाम से 
तुम्हारे कडवे झूठो , तीखे बयानों से 
कितना भी कीचड़ उड़ेलो मेरे जज्बातों पर 
मैं बहार आऊँगी चन्दन की महक से  !!!  Bahut khoob Neelima ji.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय "
11 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी रचना का संशोधित स्वरूप सुगढ़ है, आदरणीय अखिलेश भाईजी.  अलबत्ता, घुस पैठ किये फिर बस…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, आपकी प्रस्तुतियों से आयोजन के चित्रों का मर्म तार्किक रूप से उभर आता…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"//न के स्थान पर ना के प्रयोग त्याग दें तो बेहतर होगा//  आदरणीय अशोक भाईजी, यह एक ऐसा तर्क है…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, आपकी रचना का स्वागत है.  आपकी रचना की पंक्तियों पर आदरणीय अशोक…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी प्रस्तुति का स्वागत है. प्रवास पर हूँ, अतः आपकी रचना पर आने में विलम्ब…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद    [ संशोधित  रचना ] +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे…"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
13 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  रचना को समय देने और प्रशंसा के लिए आपका हार्दिक धन्यवाद आभार ।"
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुसार सुंदर छंद हुए हैं और चुनाव के साथ घुसपैठ की समस्या पर…"
14 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी चुनाव का अवसर है और बूथ के सामने कतार लगी है मानकर आपने सुंदर रचना की…"
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी हार्दिक धन्यवाद , छंद की प्रशंसा और सुझाव के लिए। वाक्य विन्यास और गेयता की…"
16 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service