For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दीपावली दीप

दीपावलि की धवल पंक्तियाँ, देती आयीं सदा संदेशा I
छाया मिटे क्लेश कुंठा की, जीवन सुखमय रहे हमेशा I
छोटा बड़ा नहीं कोई भी, बीज साम्य के दीपक बोते I
इसी लिए हर घर के दीपक, केवल मिटटी के ही होते I

चाह यही यह दिव्य रश्मियाँ, हर मन को आलोड़ित करदें I
ये प्रकाश की मनहर किरणें, जीवन अंगना आलोकित कर देंI

रहे कामना यही ह्रदय में, मंगलमय हो हर जीवन I
प्रेम और सद्भाव बढायें, मिलकर सभी धनिक निर्धनI
देश प्रेम की प्रवल भावना, भरी रहे सबके मन में I
उर्जा और शक्ति विकसित हो, हर तरुणाई के तन में I

पुण्य पर्व की ज्योति शिखाएं, अशुभ सोच संशोधित कर दें I
ये प्रकाश की मनहर किरणें, जीवन अंगना आलोकित कर दें I

Views: 326

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Shriprakash shukla on November 19, 2010 at 2:15pm
आदरणीय मित्रवर ,
दीपावली दीप रचना आप को रुचिकर लगी,मेरा लिखना सार्थक हुआ .आप सब का आभारी हूँ
सादर
श्रीप्रकाश शुक्ल
Comment by आशीष यादव on November 19, 2010 at 9:08am
waah sir,
bahut shandar panktiya kahi gayi aapke dwara. aapne pichhle deepawali ke mahaivent me inhe nahi bheja, lekin yaha bhi inki khubsurti wahi hai. mujhe purn wishwash hai ki aap aane waale ivent me apni sakriy bhagidaari pesh karenge. aur bhi achchhi rachnaayen padhne ko milengi.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 18, 2010 at 10:04am
इसी लिए हर घर के दीपक, केवल मिटटी के ही होते I

वाह सर वाह, क्या बात कही है, हर घर के दीपक मिटटी के होते है , बहुत ही खुबसूरत अभिव्यक्ति, और शानदार प्रस्तुति हेतु बधाई आपको |
कुछ दिन पहले ही "OBO लाइव महा इवेंट" अंक -१ चल रहा था जिसका विषय दीपावली ही था, जो दस दिन तक चला, आपको जानकार प्रसन्नता होगी की सिर्फ १० दिनों मे एक विषय पर ४० से अधिक कवियों ने २०० सी अधिक रचनाओं सहित १२०० से भी अधिक Reply दिया, संभवतः यह किसी भी हिंदी साईट के लिये विश्व रिकार्ड हो | आप उक्त इवेंट को नीचे दिये लिंक पर पढ़ सकते है |
http://www.openbooksonline.com/forum/topics/obo-1-now-close

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service