माँ तुझे प्रणाम
धरती सी सहनशील
हिमालय सी शालीन
जीवन का द्वार
स्नेह की बौछार
बस दुलार ही दुलार
ममता का साकार रूप
प्रभात की पहली धूप
प्रारब्ध के पुण्य का फल
पहली साँस महसूस कराने वाली
अंगुल पकड़ चलाने वाली
पहली शिक्षा देने वाली
सबसे पहले आंसू पोंछने वाली
आत्मविश्वास जगाने वाली
जो सब है मेरे पास
उसी का दिया है अहसास
मेरी ख़ुशी मे मुझसे ज्यादा ख़ुश
मेरे गम में मुझसे ज्यादा दुखी
हिम्मत और विश्वास दिलाने वाली
विचारों में सुगंध बसाने वाली
अँधेरी राह में उजाला दिखाने वाली
नौ महीने मेरे लिए कष्टों को झेल कर
इस दुनिया में मुझे लाने वाली
माँ तुझे प्रणाम , माँ तुझे प्रणाम
तेरी ममता का स्पर्श
है आज भी मुझमें समाया
तुझे पाने के बाद ही
मैंने सब कुछ पाया
विजयाश्री
१५ .०४ .२०१३
(मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
सादर धन्यवाद् शालिनी कौशिकजी
सादर आभार अशोक कुमारजी रकताले
सादर धन्यवाद् डॉ. प्राची
माँ के निर्बाध निश्छल निर्मल प्रेम को समर्पित शुभ्र रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीया विजयाश्री जी
स्नेह की बौछार
बस दुलार ही दुलार
ममता का साकार रूप
प्रभात की पहली धूप..............वाह! अति उत्तम भाव.
माँ के अगाध प्यार को समर्पित सुन्दर रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीया विजया श्री जी.
.भावात्मक अभिव्यक्ति ह्रदय को छू गयी आभार नवसंवत्सर की बहुत बहुत शुभकामनायें
विजयश्री जी, अति सुंन्दर.आप बधाई स्वीकार करें
सादर ,
कुंती
आदरणीया विजयाश्री जी:
माँ के प्रति इन सुन्दर मार्मिक भावों को
इस खूबसूरती से अभिव्यक्त करने के लिए साधुवाद।
ऐसी ही और लिखते रहिए। शुभकामनाएँ।
सादर,
विजय निकोर
माँ हेतु जितना भी लिखा जाय कम ही है, अच्छी रचना पर बधाई आदरणीया विजया श्री जी ।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online