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प्रेम के मोती

नमवायु के शुष्क, जमे कण 

धरती की गर्माहट भरी 

सतह पर 

हो जाते हैं जब इकट्ठे 

तो बन जाते हैं कोहरा |

फिर यही कोहरा 

अस्त-व्यस्त कर देता है

जन जीवन को ,

धीमा कर देता है 

जिन्दगी की रफ़्तार को,

कारण बनता है

कई चिरागों के बुझने का,

साक्षी बनता है 

हृदय स्पर्शी चीत्कारों का|

वापिस भी मोड़ देता है 

आगे बढे हुए

कई क़दमों को,

धुंधला कर देता है

अच्छी भली दृष्टि को|

लेकिन जब यही धुंधलका

पवन की थपथपाइयों से,

सूर्य की हल्की तपिश से

हो जाता है छूमंतर|

तब बढ़ने लगती है रफ़्तार,

लौट आता है जीवन,

फैलने लगती हैं मुस्कराहटें,

बढ़ने लगते हैं कदम, 

दृष्टिगोचर होती है स्पष्टता|

क्योंकि

प्रकृति लेती है परीक्षा मानव की

और देती है शिक्षा

धैर्यवान बनने की|

 

आपसी प्रेम और सौहार्द की गर्माहट 

पिघला देती है कोहरे को 

जो छाया है मानव मानव के बीच,

कर देती है परिवर्तित 

प्रेम के मोतियों में,

ओस कणों से सींच|

पूर्णतः मौलिक एवं अप्रकाशित 

 

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Comment

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Comment by Usha Taneja on April 24, 2013 at 5:15pm

 ram shiromani pathak जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद. 

Comment by Usha Taneja on April 24, 2013 at 5:13pm

 आदरणीय Dr.Prachi Singh ji, मैं बहुत धन्य हुई आपकी प्रतिक्रिया जानकर. शुभकामनाओं के लिए हर्दिक आभार.

Comment by ram shiromani pathak on April 23, 2013 at 9:33pm

आदरणीया ऊषा तनेजा जी,बहुत सुन्दर प्रस्तुति।बधाई स्वीकार करें।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 23, 2013 at 8:58pm

आदरणीया ऊषा तनेजा जी,

संवादहीनता और गलतफहमियों के कुहासों की दीवारें सौहार्द की गरमाईश से ही टूटती हैं..

उत्कृष्ट भावों की प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई

आपसी प्रेम और सौहार्द की गर्माहट 

पिघला देती है कोहरे को 

जो छाया है मानव मानव के बीच,.....बहुत सुन्दर 

शुभकामनाएं  

Comment by Usha Taneja on April 23, 2013 at 6:36pm

 Ashok Kumar Raktale जी, उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 6:22pm

वाह! कोहरे की दीवारें और फिर ओस के मोती. बहुत सुन्दर भाव प्रस्तुत करती रचना पर हार्दिक बधाई स्वीकारें आदरणीया उषा तनेजा जी.

Comment by Usha Taneja on April 23, 2013 at 5:12pm

आ०  Kewal Prasad जी, प्रणाम! बधाई के लिए धन्यवाद. 

आभारी 

उषा तनेजा 

Comment by Usha Taneja on April 23, 2013 at 5:09pm

आ० vandana tiwari जी, उत्साह वर्धन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.

आभारी

उषा तनेजा  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 23, 2013 at 9:46am

आ0 तनेजा जी,  सादर प्रणाम!   बहुत सुन्दर प्रस्तुति।  सादर बधाई स्वीकार करें।

Comment by Vindu Babu on April 22, 2013 at 6:43pm
आदरेया ऊषा जी बहुत ही गहन और सटीक, सांकेतिक रूप से अभिव्यक्ति की है आपने,
सादर बधाई आपको।

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