वीर छंद (३१ मात्राएँ/ १६ मात्राओं पर यति, १५ मात्राओं पर पूर्ण विराम/ अंत गुरु लघु)
सरबजीत भव पार गया है ---छोड़ गया वह देश जहान।
अमर शहीदो से मिलने वह-- चला गया देकर फरमान।
समय आगया अब भी जागो- अगर बचाना हिंदुस्तान ।
देश कि रक्षा कर न सके जो --छीनों उनसे देश कमान।
यम यातना उस ही कैद मे-- नित भोग रहे है अवसाद ।
मेरे लहू का मान रख लो ----- करवा लो इनको आजाद।
जन जन का है नारा अब तो -जंग छेड़ो अरु रखो आन ।
धिक्कार है उस कुर्सी को -----बचा सके न देश की शान |
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला
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ओह! चिंतनीय और सच्चे आल्हा!
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