For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वीर छन्द,,,(आल्हा छन्द)
=========================

 

सदा न यॊद्धा रण मॆं जीतॆ, रहॆं न सदा हाँथ हथियार ।

जीना मरना वहीं पड़ॆगा,जिसका जहां लिखा करतार ॥

कई साल तक रहा ज़ॆल मॆं, बाँका सरबजीत सरदार ।

उसॆ छुड़ा ना पायॆ अब तक,सॊतॆ रह गयॆ पाँव पसार ॥

हाय  हमारॆ  मौनी  बाबा, करतॆ  रहॆ  नॆह- सत्कार ।

लूटा खाया इस भारत कॊ,गूँगी  बनी  रहीं  सरकार ॥

भईं सभायॆं सब नाहक मॆं,दुश्मन ठहरा नीच गवाँर ।

छॊड़ दियॆ कुछ कैदी उसनॆ, बॊला इसॆ लगादॊ पार ॥


बॊला बॆटा तब भारत का, पापी सुनलॊ कान लगाय ।

इसी घड़ी की ख़ातिर मैया,पाला मुझकॊ दूध पिलाय ॥

पैदा नहीं हुआ जॊ मारॆ, जब तक चण्डी करॆ  सहाय ।

बाँई भुजा भगतसिंह मॆरॆ,दहिनॆ विंध्य-वासिनी माय ॥

सिरपॆ साया गुरु-गॊविँद का,छाती बज्र गहॆ हनुमान ।

राहू - कॆतू हैं आँखिन मॆं,मंगल शनी महा बलवान ॥

आज  निहत्था ही निपटूँगा, मॆरॆ हाँथ नहीं किरपान ।

याद दिला दूँ  दूध छठी का, भारत माँ की मैं संतान ॥

जिस धरती पर मैं हूँ जन्मा, पैदा हॊतॆ सजॆ कटार ।

एक बराबर सवा लाख कॆ, हॊता भारत का सरदार ॥

माँगूं भीख ज़ान की तुमसॆ,मॆरॆ जीवन कॊ धिक्कार ।

मुझॆ कसम है भारत माँ की,खाऊँ नहीं पींठ पॆ वार ॥

नहीं गीदड़ॊं कॆ जायॆ हैं, हम नाहर कॆ लाल कहाँय !

एक मरॆगा यहाँ ज़ॆल मॆं, पैदा लाख  वहाँ हॊ जाँय ॥

बच्चा,बच्चा भारत माँ का,ठॊंकॆ ताल युद्ध मॆं आय ।

रण-चण्डी हैं माता बहनॆं, कच्चा जायॆं पाक चबाय ॥

सदा मौत सॆ हम हैं खॆलॆ, जीतॆ हरदम शीश उठाय ।

नहीं किसी सॆ डरनॆ वालॆ, चाहॆ काल खड़ा हॊ आय ॥

बड़ॆ सूरमा दॆखॆ हम नॆं, जब जब भागॆ पींठ दिखाय ।

कायरता की हदॆं तॊड़ दीं, कुत्तॆ  भारत  मॆं पहुँचाय ॥

दॊ-दॊ आतंकी कुत्तॊं कॊ, सूली पर हम दिया चढ़ाय ।

हाल वही उन सबका हॊगा, जॊ ज़ॆलॊं मॆं रहॆ मुटाय ॥

खड़ॆ शॆर कॆ सम्मुख काहॆ, गीदड़ आँखॆं  रहॆ दिखाय ।

माँ का दूध पिया जॊ तुमनॆ,बारी-बारी लॊ अज़माय ॥

बातॆं सुनकॆ सरबजीत की, दुश्मन गयॆ सनाका खाय ।

धरती पर है खड़ा हमारी, रहा हमॆं ही आँख दिखाय ॥

इतना कहकॆ फिर पीछॆ सॆ,उन नॆ दीन्हा वार चलाय ।

भारत माँ का प्यारा बॆटा, धरनी  गिरा  तरॆरा खाय ॥

एक निहत्थॆ कॆ ऊपर सब, करनॆ लगॆ घपा-घप वार ।

ज्यॊं पिंजड़ॆ मॆं बंद शॆर का,कायर कुत्तॆ करॆं शिकार ॥

मुर्छा आई  सरबजीत कॊ, बहनॆ लगी खून की  धार ।

बूँद बूँद कहती जाती थी,भारत माँ की जय जयकार ॥

कवि-"राज बुन्दॆली"

०५/०५/२०१३

 

=========================
 

Views: 1516

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on May 8, 2013 at 12:21am

  Dr Dilip Mittal     जी भाई साहब धन्यवाद,,,आभार,,,,

Comment by Dr Dilip Mittal on May 7, 2013 at 6:04pm

अच्छी कविता के लिए बधाई और हमारी नाकारा सरकार के लिए ४ पंक्तियाँ 

 

सरबजीत ने देश कि  लाज रख ली ,
उसके दिल ,गुर्दे थे तो निकाल लिये ,
अगर किसी नेता के टटोलते तो ,
देश को शर्मसार होना पड़ता ,
न दिल, जिगर  ना खोजने पर दिमाग,
का कही पता चलता .

 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on May 7, 2013 at 2:02pm

कुमार गौरव अजीतेन्दु जी भाई साहब धन्यवाद,,,आभार,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on May 7, 2013 at 2:01pm

Sudheer Maurya 'Sudheer'  जी भाई साहब आभार,,,,आपने रचना को समय दिया और रचना-धर्म को प्रोत्साहन दिया,,,,,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on May 7, 2013 at 2:00pm

बसंत नेमा जी ,,,,भाई साहब,,,,,, आपका बहुत बहुत आभार इस स्नेहाशीष के लिये,,,,,,,,,

Comment by Sudheer Maurya on May 7, 2013 at 1:19pm

मन मे जोश पैदा करते छ्ंद ,,, बधाई स्वीकारे

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 7, 2013 at 1:19pm

सबसे पहले तो शहीद सरबजीत सिंह जी को नमन। उस "नापाक" देश से और उम्मीद भी क्या की जाये। 

बातॆं सुनकॆ सरबजीत की, दुश्मन गयॆ सनाका खाय ।

धरती पर है खड़ा हमारी, रहा हमॆं ही आँख दिखाय ॥

इतना कहकॆ फिर पीछॆ सॆ,उन नॆ दीन्हा वार चलाय ।

भारत माँ का प्यारा बॆटा, धरनी  गिरा  तरॆरा खाय ॥

बहुत सुंदर ओजपूर्ण पंक्तियां लिखी हैं आपने आदरणीय बुंदेली जी। आपको हार्दिक बधाई प्रेषित है।

Comment by बसंत नेमा on May 7, 2013 at 12:45pm

पढते पढते रोंगटॆ खडॆ हो रहे है..... मन मे जोश पैदा करते छ्ंद ,,, बधाई स्वीकारे .... 

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on May 7, 2013 at 11:29am

आदरणीया rajesh kumari जी ,,,रचना आपके मन को भा गई अर्थात मेरी मेहनत सफल हुई,,,,मै आपके इस स्नेह को नमन करता हूं,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on May 7, 2013 at 11:27am

आदरणीय Saurabh Pandey सर जी,,,,, गुरुवर मेरे वीर छ्न्द विधा के प्रथम प्रयास को आपने,,,अपना जो स्नेह दिया है मैं गदगद हृदय से आपको नमन करता हूँ,,,,,,,,,,,सादर प्रणाम,,,,,,,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"एकदम अलग अंदाज़ में धामी सर कमाल की रचना हुई है बहुत ख़ूब बधाई बस महल को तिजोरी रहा खोल सिक्के लाइन…"
6 hours ago
surender insan posted a blog post

जो समझता रहा कि है रब वो।

2122 1212 221देख लो महज़ ख़ाक है अब वो। जो समझता रहा कि है रब वो।।2हो जरूरत तो खोलता लब वो। बात करता…See More
15 hours ago
surender insan commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन। अलग ही रदीफ़ पर शानदार मतले के साथ बेहतरीन गजल हुई है।  बधाई…"
15 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान देने तथा अपने अमूल्य सुझाव से मार्गदर्शन के लिए हार्दिक…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . .
"गंगा-स्नान की मूल अवधारणा को सस्वर करती कुण्डलिया छंद में निबद्ध रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय…"
19 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . .

 धोते -धोते पाप को, थकी गंग की धार । कैसे होगा जीव का, इस जग में उद्धार । इस जग में उद्धार , धर्म…See More
22 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ सत्तरवाँ आयोजन है।.…See More
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
Sunday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service