For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक प्रयास,,आप सबकॆ चरणॊं मॆं सादर समर्पित है,,,
======================================
(१) मदिरा सवैया =
==============
मारति गॆंद गिरी यमुना जल, बीचहिँ धार बहात चली !!
भाषत राज गुनीजन जानहु, मानहुँ कुम्भ नहात चली !!
त्रॆतहिँ कॆवट की तरिनी जसि, राम चढ़ॆ  उतिरात चली !!
आनहुँ गॆंद अबै मन-मॊहन, ग्वालन ग्वालन बात चली !!

(२) मदिरा सवैया =
==============
भूल हमारि भई मनमॊहन, खॆल खॆलाइ लियॊ तुम का !!
दाँव हमारि रहै  तबहूँ हम, दाँव  दिलाय दियॊ तुम का !!
खॆल नसाइ दिहौ सब मॊहन,बॊलहु हॊंठ सियॊ तुम का !!
गॆंद हमारि हमैं अब चाहइ,मीत अनीति कियॊ तुम का !!

(३) मत्तगयंद सवैया =
=================
दॆब उलाहन जाइ घरै हम, मारइ तॊहि यशॊमति मैया !!
नंदहुँ मारहिँ दॆंहि धपा-धप, पींठ उँघारि करैं गति भैया !!
बाँधि धरैं रसरी दुहुँ हाँथन, पाँव कसैं जसि नाठर गैया !!

या लकुटी जब पींठ परै सुन,बॊल उठैं जियरा तब दैया !!

कवि : "राज बुन्दॆली"
१८/०४/२०१३

Views: 803

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 24, 2013 at 1:43pm

Ashok Kumar Raktale आदरणीय आपका यह स्नेह अमूल्य है मेरे लिये,,,,आपको सादर नमन करता हूं,,,,,,,

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 23, 2013 at 8:39am

अहा......हा वाह.....क्या खूब सवैये रचे हैं आदरणीय राज बुन्देली साहब लगता है बार बार गाते ही रहो. अति सुन्दर और मन मोहन पर मनमोहक सवैये. बहुत बहुत बधाई स्वीकारें.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 19, 2013 at 12:01am

आदरणीय,,,, Saurabh Pandey जी ,,,गुरुदेव इस में मेरी कोई कारीगरी नहीं है,,,

यह आपके स्नेह और आशीष का परिणाम जो हो जाता है,आपके चरणॊं मॆं रख देता हूँ,,,,,,,

इस स्नेह हेतु आपको नमन,,,,आशा है आपका स्नेह यूँ ही मुझे मिलता रहेगा,,,,

 

आपका सदैव स्नेहाकांक्षी

कवि - राज बुन्देली,,,,,,,,


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 18, 2013 at 11:25pm

भाई राज साहब, तीनों सवैये कृष्ण की बाल-लीला का समर्थ आईना हैं.

त्रेतहिं केवट की तरिनी जसि.. ने तो चमत्कार ही प्रस्तुत कर दिया है. और जिस सुन्दरता से गेंद ने उलाहना दिया है वह अद्भुत है. बहुत-बहुत बधाई.. .

सादर

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 18, 2013 at 11:01pm

Kewal Prasad जी भाई साहब ,,,,रचना कॊ समय देने हेतु,,,,,धन्यवाद,,,,,

बहुत बहुत आभार आपका,,,,,यह स्नेह बनाये रखियेगा,,,,,,,,

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 18, 2013 at 10:44pm

आदरणीय  राज भाई जी,  तीनों ही सवैया मनभावनी अतिसुन्दर।  हार्दिक बधाई स्वीकारे।  सादर,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 18, 2013 at 10:42pm

mrs.kavita verma जी ,,,,,बहुत बहुत धन्यवाद आपका इस हौसला-आफ़जाई के लियॆ,,,,,,नमन,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 18, 2013 at 10:40pm

SANDEEP KUMAR PATEL  जी ,,,सच कहूँ तो आप सब लोगों का छन्द लेखन पढ़कर ही मैं छन्द लेखन की ओर अग्रसर हुआ हूँ,,, आप सभी का एवं मंच का बहुत बहुत आभार,,,,,,,

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 18, 2013 at 10:37pm

rajesh kumari जी,,,,,, आपकी इस बेहद सुन्दर प्रतिक्रिया से मन अभिभूत हो गया,,आपके इस साहित्यानुराग को नमन करता हूँ,,,, बहुत बहुत आभार आपका,,,,,,,,,,

Comment by Kavita Verma on April 18, 2013 at 10:03pm

आदरणीय कवि  राज बुन्देली जी आपके छंद की शोभा अतुलनीय है ..बधाई स्वीकारें ...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
1 hour ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
2 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
13 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
15 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service