kavita verma
aprakashit aur moulik
Comment
अच्छी है। बधाई!
aap sabhi aadarneey jano ka bahut bahut abhaar ....
मर्मस्पर्शी रचना ............सुन्दर प्रयास !
मार्मिक रचना हेतु सादर बधाई
बिलकुल सही दूरियाँ या मजबूरियाँ हो तब ऐसा होता है. सुन्दर मार्मिक रचना.
कविता जी , ऐसे लोग तब पछ्ताते जब उनकी संतान उनके साथ ऐसा व्यवहार करते हैं, ऐसी घटनाएँ अब एक फेंन्शन बन गया है . सादर /
कुंती.
आ0 कविता जी, वास्तव में हम अत्यधिक सुविधाओं में अपना वजूद ही खो बैठे हैं। अतिसुन्दर कहानी। तहेदिल से हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
आज कल की बेहद कड़वी सच्चाई......बहुत खूब मोहतरमा.....बधाई....
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