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परम आभार आदरणीय अशोक रक्ताले जी !!
वाह! एक एक शेर जैसे तराशा हुआ नगीना हो, बहुत सुन्दर गजल आदरणीय अभिनव अरुण जी. दिली मुबारकबाद कुबूल फरमाएं.
श्री राज जी नमक वाला शेर पसंद आया आभारी हूँ बंधुवर !!
मन आह्लादित हुआ आदरणीय श्री ! आपको प्रणाम करता हूँ !! आशीर्वाद मिलता रहे प्रभु से यही कामना है !! जय बाबा विश्वनाथ !!
श्री केवल जी शेर पसन्द आये कहना उपयोगी साबित हुआ आभारी हूँ ।
आपकी दाद का शुक्रिया आदरणीय संदीप जी स्नेह बना रहे !!
आदरणीय ब्रजेश जी बहुत शुक्रिया आपकी बधाइयों के लिए !!
बहुत ही सुन्दर! लाजवाब! ढेरों बधाई स्वीकारें।
क्या बात है सर जी इक इक शेर लाजवाब है
इस शानदार ग़ज़ल के लिए दिली दाद हाजिर हैं सादर
क़ुबूल फरमाइए
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