हो गये सब सर कलम कुछ रोटियों के वास्ते
जैसे उगते हों शज़र बस आरियों के वास्ते
दौरे वहशत पूछिए मत, बढ़ रही कैसी हवस
है परेशां बाप अपनी बच्चियों के वास्ते
कुछ निवाले छीन लेते हैं गरीबों से भले
रोज़ दाना लाएं साहब मछलियों के वास्ते
देश के रक्षक उगाते बेच कर ईमान अब
नोट की फसलें सियासी इल्लियों के वास्ते
दौर है रफ़्तार का, फुर्सत नहीं खुद के लिए
व्यस्त हैं सब कागज़ी कुछ चिन्दियों के वास्ते
मुल्क की तस्वीर से फिर साजिशी बू आ रही
खुल रहे स्कूल इंग्लिश हिंदियों के वास्ते
कोख में ही मार डालीं, बाप ने सब बच्चियाँ
मां तरसती रह गई किलकारियों के वास्ते
क्यूँ गुनाहों से करे तौबा कोई भी “दीप” जब
बह रही गंगा अजल से पापियों के वास्ते
संदीप पटेल "दीप"
Comment
दीप जी आज की क्रूर व्यवस्था पे चोट करते हुए बेहतरीन ग़ज़ल आपने पेश किया है, वाह तारीफ़ क़ुबूल फरमाएँ
आदरणीया गीतिका जी सादर प्रणाम
आपको ग़ज़ल पसंद आई लेखन सार्थक हुआ
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
सादर आभार आपका
आदरणीय अशोक सर जी सादर प्रणाम
आपकी सराहना हेतु आपका बहुत बहुत आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
सादर
आदरणीय धर्मेन्द्र सर जी सादर प्रणाम
ग़ज़ल को सरहाने हेतु बहुत बहुत धन्यवाद
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीय बृजेश जी सादर
आपकी सराहना पाकर बहुत ख़ुशी मिली
ये स्नेह यूँ ही अनुज पर बनाये रखिये
सादर आभार आपका
आदरणीय डॉ आशुतोष सर जी सादर प्रणाम
इस उत्साहवर्धन हेतु आपका बहुत बहुत आभार
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
आदरणीय केवल प्रसाद जी सादर
आपकी सराहना सर आँखों
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
सादर आभार आपका
आदरणीय वीनस जी सादर
आपकी सराहना पाना मेरे लिए उपलब्धि है
ये स्नेह यूँ ही बनाए रखिये
सादर आभार आपका
आदरणीय नीरज मिश्र जी सादर आभार आपका इस सराहना हेतु
स्नेह बनाये रखिये
आदरणीय अभिनव सर जी सादर
आपकी प्रतिक्रिया पाकर अभिभूत हुआ
ये स्नेह यूँ ही बनाये रखिये
सादर आभार आपका
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online