For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल: हिंदी को भूल इंग्लिश में वाव हो रहा है...

भीषण विनाशकारी बदलाव हो रहा है,
मासूमियत पे जमकर पथराव हो रहा है,

आदत बदल रही है फितरत बदल रही है,
रिश्तों में प्यार का भी अभाव हो रहा है,

अरमां तमाम टूटे बिखरे नज़र से सपने,
सूखा हुआ जखम था फिर घाव हो रहा है,

कुर्ता सफ़ेद लेकिन है दागदार देखो,
नेताओं का अनोखा स्वभाव हो रहा है,

ना व्याकरण न भाषा है शब्दकोष खाली,
हिंदी को भूल इंग्लिश में वाव हो रहा है...

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 28, 2013 at 8:17am

भाई अरुण शर्मा जी सादर, व्यवस्थाओं पर आक्रोश व्यक्त करती सुन्दर गजल. सादर बधाई स्वीकारें.

Comment by Vindu Babu on May 25, 2013 at 7:49pm
आदरणीय अरुन जी आज भारतीय संस्कृति की विकृति और अवहेलना को देखते हुए आपकी रचना हृदयातल को छू गई।
समसमायिक परिदृश्य को परिलक्षित करती हुई सुन्दर गज़ल बन पड़ी है।
सादर बधाई स्वीकारें।
Comment by Abhinav Arun on May 25, 2013 at 4:40pm

achchhi samyik ghazal hai shri arun ji !!

Comment by विजय मिश्र on May 24, 2013 at 12:54pm

आज क्लिष्ट शब्दों का प्रयोग नहीं कर सकते ,प्राकृत शब्द लोगों को मारूक लगते हैं , लोग वाग टोक देंगे -"आपकी बात समझ में नहीं आती ,हिंदी में बोलिए न | क्या अंग्रेजी में बोल रहे हैं  ? "  

परम्पराएँ एकदिन में नहीं बदलती ,इसके पोषक हममें से ही हैं ,यह छद्मवेशीओं के सधे हुए कूटनीतिक प्रयास का नतीजा है कि हम हिंगलिश के दौर में हैं ' wow.' और ' ooch '  पहले -दूसरे वर्ग के बच्चे बोलते हैं ,वे ना ही इसका full form  जानते हैं और बहुत के तो बाप-माँ भी नहीं ही जानते होंगे मगर बोलते हैं क्योंकि उन्हें पढ़ाई के पहले दिन से हिंदी वर्णाक्षर की जगह English Alphabets सिखाया जाता है तो उन्हें 'अहा ' और ' ओह ' कहाँ से आएगा ?यह संस्कृति घर में जन्म लेती है  आकाश से नहीं टपकती . बाकायदा हमें हमारी पहचान से बिलग किया जा रहा है ,  धनावलम्बिओं द्वारा बेहद सलीके से हमारी भाषा ,संस्कृति को धूलधूसरित किया जा रहा है और हम भी मौन रह इसे प्रश्रय दे रहे हैं . 

अरुणजी ! आपकी ऊँगली सही जगह पर इशारा कर रही है ,.शुभेच्छा . 

Comment by अरुन 'अनन्त' on May 24, 2013 at 12:39pm

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश भाई स्नेह यूँ ही बनाये रखिये.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on May 24, 2013 at 7:54am

बहुत ही सुन्दर!

Comment by seema agrawal on May 23, 2013 at 7:37pm

ना व्याकरण न भाषा है शब्दकोष खाली,
हिंदी को भूल इंग्लिश में वाव हो रहा है..........सभी शेर एक से बढ़ कर एक 

हार्दिकशुभ कामनाएं आपको और आपके रचनाकर्म को 

Comment by बृजेश नीरज on May 23, 2013 at 4:43pm

वाह अरून भाई बहुत सुन्दर! अब तो आधी से अधिक हिन्दी अंग्रेजी में ही बोली जाती है। लोग उसे ही हिन्दी समझते हैं। वैसे भी अंग्रेजियत के बोझ तले दबी कुचली हिन्दी को कब राहत मिली।
इस भावाभिव्यक्ति पर आपको बधाई!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted discussions
20 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service