फाईलु / फाइलातुन / फाईलु / फाइलुन
वज्न : २२१, २१२२, २२१, २१२
नैनो के जानलेवा औजार से बचें,
करुणा दया ख़तम दिल में प्यार से बचें,
पत्थर से दोस्त वाकिफ बेशक से हों न हों,
है आइना फितरती दीदार से बचें,
आदत सियासती है धोखे से वार की,
तलवार से डरे ना सरकार से बचें,
गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,
नफरत नहीं गरीबों के वास्ते सही,
यारों सदा दिमागी बीमार से बचें,
जो चासनी लबों पर रख के चले सदा,
इंसान है मतलबी उपकार से बचें....
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
sundar ghazal hai shaandaar hone ke aasaar hain
shubhkaamnaayen ...
बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ..
गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,...सुन्दर प्रस्तुति
अति सुन्दर !!!
अरुण हार्दिक बधाई स्वीकारें इस बढ़िया गजल के लिए
शुभाशीष
नफरत नहीं गरीबों के वास्ते सही,
यारों सदा दिमागी बीमार से बचें,
जो चासनी लबों पर रख के चले सदा,
इंसान है मतलबी उपकार से बचें....
नमस्कार अरुण जी ..
बहुत -२ बधाई आपको . . बहुत ही अच्छी प्रस्तुति ..
hardik badhai arun sharma ji .
नैनो के जानलेवा औजार से बचें,
करुणा दया ख़तम दिल में प्यार से बचें///वाह फटे हाल मज़नू की कहानी //हा हा हा हा
गिरगिट की भांति बदले जो रंग दोस्तों,
जीवन में खास ऐसे किरदार से बचें,
नफरत नहीं गरीबों के वास्ते सही,
यारों सदा दिमागी बीमार से बचें,///////////वाह वाह ये हुई ना बात
हार्दिक बधाई आदरणीय भाई अरुण जी ///सादर
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