//ॐ//
हंसवाहिनी वाग्देवी शारदे उद्धार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर
स्वप्न की साकारता संस्पर्श कर लें उंगलियाँ
ज्ञान की अमृत प्रभा द्रुमदल की खोले पँखुड़ियाँ
नवल सार्थक कल्पना में हौंसलों की धार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर
लेखनी हो सत्य शाश्वत उद्-गठित हो व्याकरण
ताल सुर लय भाव प्रांजल रस पगा हो अलंकरण
छान्दसिक या मुक्त हो उद्गार का शुभ-सार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर
तीव्र-कम्पन ही सृजन है औ' प्रलय संहार है
उद्भव तरंगित भाव-ध्वनि संचयन संस्कार है
अमृता माँ वीणापाणि वाणी में सुरधार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर
परिष्कृत अभिरुचि प्रदात्री ज्ञानचक्षु प्रकाशिनी
वेद ज्ञान प्रदायिनी अज्ञान तिमिर विनाशिनी
प्रगति बौद्धिक हो सुफल, आध्यात्म को आधार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर
सौम्यरूपा दे कृपा कर, सद्गुणों की ग्राह्यता
कर सकें मंगल सृजन, दे ज्ञान की सद्पात्रता
ब्राह्मी निज गात्र को सद्बुद्धि दे, शृंगार कर
अर्चना स्वीकार कर माँ, ज्ञान का विस्तार कर
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(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
सौम्यरूपा वाग्देवी माँ शारदे की वंदना सुन्दर भाव शिल्प में रच कर प्रस्तुत करने पर हार्दिक बधाई |
माँ सरस्वारी की कृपा हम सब पर बनी रहे | वीणा-पाणी माँ शारदे की कृपा से ही सुन्दर रचना कर मानव
समाज के कल्याण के लिए कुछ योगदान करना संभव है | उसकी कृपा बगैर वेद ज्ञान प्राप्ति संभव नहीं |
पुनः बधाई स्वीकारे
प्रिय राम शिरोमणि पाठक जी
माँ सरस्वती का आशीष हर शब्द साधक पर रहे यही मंगलकामनाएं है ..रचना पर आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार
आ० वंदना तिवारी जी
अभिव्यक्ति की सराहना कर उत्साहवर्धन करने के लिए हृदय से आभार
आ० बसंत नेमा जी
सरस्वती वन्दना पर आपके विनम्र अनुमोदन के लिए हार्दिक आभार.
आदरणीय डॉ० आशुतोष वाजपेयी जी
अभिव्यक्ति के शिल्प व गठन पर आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद
सादर.
आदरणीय पंकज त्रिवेदी जी
वन्दना के मनोभावों को सराहने के लिए हार्दिक आभार.
आ० अभिनव अरुण जी
//एक सुगठित संमृद्ध सुसंस्कृत सरस्वती वंदना मुद्दत बाद पढ़ी है//
एक सजग पाठक के तौर पर यह रचना अपने कथ्य शिल्प से आपको संतृप कर सकी यह मेरे लेखन विश्वास के लिए बहुत उत्साहवर्धक है.
मुखर सराहना के लिए सादर धन्यवाद
आ० तरुण कुमार जी
वन्दना के भावों को सराहने के लिए धन्यवाद
आ० केवल प्रसाद जी
सरस्वती वंदना पर आपकी शुभकामनाओं के लिए आभार.
आदरणीया प्राची जी बहुत ही सुन्दर वन्दना हुई है,मंत्र मुग्ध हो गया मै आपकी लेखनी को बार बार प्रणाम//
माँ सरस्वती की कृपा आप पर यु ही बनी रहे // //////हार्दिक बधाई
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