सड़क पर पड़ी
खाली बोतल
लोग आते- जाते
ठोकर मार जाते हैं .....
और इस तरह
यहाँ से वहाँ भटकती ....
न जाने कहाँ से कहाँ
पहुँच जाती है
ये खाली बोतल
जो कभी
पानी से भरी होती थी ......
मगर आज खाली है
कल तक जो अपने
जरूरतमंद के पास होती थी
आज वो सड़क पर
पड़ी है .....
लावारिशो की तरह ......
बिलकुल ऐसी ही तो ...........
हाँ बिलकुल ऐसी ही तो
होती है हम इंसानों की जिन्दगी भी
एक सफल होकर असफल हुए
इंसान की जिन्दगी ......
इंसान जब सफल होता है
तो अपने चाहने वालो, जरुरतमंदो,
अपनों .........
सबके लिए अजीज होता है ....
सभी हर समय उसे अपने
पास रखना चाहते हैं .....
लेकिन जैसे ही वही इंसान
असफलता के घेरे में आता है
भुला दिया जाता है ....
लोग दूर-दूर , बहुत दूर
होने लगते हैं ....
अपने भी पराये करने लगते हैं
और एक दिन उसे भी
छोड़ दिया जाता है
अकेले….
सडको पर भटकने के लिए
अंधेरो में खोने के लिए
बिलकुल पानी की
बोतल की तरह .......
जब तक पानी से भरी होती है
साथ रखी जाती है ...
जब खाली हो जाती है
तो फेंक दी जाती है
किसी सड़क पर या कूड़े के
ढेर में या फिर अगर
किस्मत अच्छी है बोतल की तो
स्टोर रूम में रख दी जाती है ......
शायद कभी भूले- भटके
किसी काम आ जाये ...........!!!!
स्वयं रचित व अप्रकाशित रचना
सोनम सैनी
Comment
आदरणीया सोनम जी सादर, सुन्दर विषय पर सीधी सपाट बयानी. आप इतने दिनों से ओ बी ओ पर रचना कर रही हैं तब बिम्बों को सही उपयोग करने का आपको अवश्य ही प्रयास करना चाहिए. सादर.
एक खाली बोतल को बिम्ब बनाकर.........बहुत गहरा और गंभीर संदेश दिया......!!!
भावनाओं को व्यवस्थित शब्द देने का प्रयास हो तो आपके संप्रेषण में सटीकपन तो आयेगा ही, रचनाकर्म सोद्येश्य हो जायेगा.
इसी रचना में देखिये तो दुहराव है जो एक भावभरे तथ्य को हल्का कर देता है.
शुभेच्छाएँ.. .
बहुत सुंदर और सरस. रचना , मगर अपने भीतर कितने दर्द छिपाए हुए ........./सादर / कुंती .
सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई
भाव बहुत अच्छे है इसलिए हार्दिक बधाई ///लेकिन इसे गद्य कहूँ या पद्य////
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ. |
अच्छी रचना के लिए बधाई |
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