किसी की याद आने का,कोई मौसम नहीँ होता,
अश्क फुरकत मेँ बहाने का,कोई मौसम नहीँ होता!
कौन जाने कब वफा से,बेवफा हो जाये को
फ़रेब इश्क मेँ खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!
राहे उल्फ़त मेँ देखा है,हमने आसियां बनाकर,
दिल पे चोट खाने का,कोई मौसम नहीँ होता!
उम्र भर का निभाई साथ कोई,यह ज़रुरी तो नहीँ,
पल मेँ बिछड़ जाने का,कोई मौसम नहीँ होता!
अजनबी सी राहोँ मेँ हमसफर मिल जाते हैँ,
किसी को अपना बनाने का,कोई मौसम नहीँ होता!
भूलकर गिले शिकवे चलो मोहब्बत को आम करेँ,
चिराग उल्फ़त के जलाने का,कोई मौसम नहीँ होता!
हो ही जाती है मोहब्बत,राहोँ मेँ ज़िँदगी की,,
किसी को चाहने का 'आबिद' कोई मौसम नहीँ होता!!
(मौलिक व अप्रकाशित)
___आबिद अली मंसूरी
Comment
आप इस मंच पर अभी तक सम्पन्न तरही मुशायरों की कड़ियों की भूमिकायें देख जाइये और तरह (वह मिसरा जिस के आधार पर पूरी ग़ज़ल कहनी होती है) के विन्यास को समझने का प्रयास कीजिये. फिर उस मुशायरे में आधारित ग़ज़लों को देखें कि वे कैसे लिखे गये हैं, आपको बहुत सहुलियत मिलेगी. ज्ञातव्य हो, ओबीओ पर तरही मुशायरे के अबतक कुल ३५ अंक सम्पन्न हो चुके हैं.
इसके अलावे ग़ज़ल के ऊपर इसी ओबीओ पर कई आलेख हैं. ग़ज़ल की कक्षा के नाम से एक समूह ही है, उसको पढ़ जाइये.
का चुपि साध रहा बलवाना .. ????
शुभेच्छाएँ
आबिद अली मंसूरी साहब, बेहतर हो आप अपनी ग़ज़ल के मिसरों के वज़्न को अवश्य ही ग़ज़ल के साथ ही प्रस्तुत करें. इससे दो लाभ होंगें..
१. आपको मालूम रहेगा कि आपकी ग़ज़ल के मिसरे का वज़्न क्या तय है.
२. वे पाठक जो इस मंच पर ग़ज़ल की विधा समझ रहे हैं, वे आपकी ग़ज़ल को शिल्प की दृष्टि से समझ सकेंगे.
इस प्रयास के लिए बधाई.. .
भूलकर गिले शिकवे चलो मोहब्बत को आम करेँ,
चिराग उल्फ़त के जलाने का,कोई मौसम नहीँ होता!
वाह भाई क्या कहने ,,,,
हार्दिक बधाई
आख़िरी शेर को छोड़ कर सभी अशआर में रदीफ़ कवाफ़ी को बढ़िया निभा ले गये हैं ...
अब बहर के प्रति भी आग्रही बनिए तो एक वृत्त पूरा हो ....
वाह!! बहुत ही उम्दा प्रस्तुति... बधाई आपको
अजनबी सी राहोँ मेँ हमसफर मिल जाते हैँ,
किसी को अपना बनाने का,कोई मौसम नहीँ होता!...............खूब कही .आबीद जी /सादर
...
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online