एक मीन गंदा करती है , पर सारे होते बदनाम | |
सच्चाई कोई ना जानें , लग जाता सब पर इलजाम | |
नकली ही बन जाता असली , झूम कर घूमे खुलेआम | |
पुलिस वाले ढूढते रहते , असली का ना आये नाम | |
खुदवाया जब एक सरोवर , दूध भरेगें किया विचार | |
सब एक घडा दूध डाल दो , सन्देश भेजा बेकरार | |
रात में भर जाये सरोवर , सब को होगा हर्ष अपार | |
विकल हुए सब राजा का सुन , सोच! जाये दूध बेकार | |
सबके पास गाय भैस लगे , चले दूध लेकर तैयार | |
रात अंधेरी चाँद गायब , सिर पर रखा घडा मन मार | |
मेहनत से ये दूध आये , ना डालेगें किया विचार | |
सब लोग ही दूध डालेगें , छिपे नीर घडा एक बार | |
जल से भरा घडा ले डाला , कोई ना देखा संस्कार | |
सब के मन में बात समाई , सब ने डाला जल की धार | |
जल से भरा सरोवर देखा , सोचा मेरे मन की हार | |
राजा देखा सब कैसे है , सब का कैसे एक विचार | |
डरते डरते सब ने डाला , निरीक्षण न किया एक बार | |
पहले जान लेता हकीक़त , कितने सच हैं लोग हमार | |
हमने किया सब पर भरोसा , कैसा सिला मिला इस बार | |
वर्मा पक्षी खेत खा जाये , कहाँ गया था वो रखवार | |
श्याम नारायण वर्मा |
(मौलिक व अप्रकाशित) |
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