कुछ भी बनने से पहले
एक अच्छा इन्सान बनो।
कुछ भी करने से पहले,
दूसरों का सम्मान करो।
समझो दूसरों की भावनाएँ,
न उनका अपमान करो।
मत दो किसी को दुःख,
सबको प्रेम समान करो।
जो तोड़ दे किसी हृदय को,
ऐसी उपेक्षा,न अपमान करो।
यदि कोई गहराई से चाहे तुम्हें,
तो उस प्रेम का सदा मान रखो।
खेल कर किसी के भावों से,
उस प्रेम का न अपमान करो।
ठुकरा कर प्रेम किसी का,
न आहत आत्मसम्मान करो।
तुम्हारी उपेक्षा,आत्मग्लानि में
न डुबाये,ऐसा न विधान करो।
तुम्हें प्रेम करके पछताये कोई,
दुखद है,इसका थोड़ा ध्यान धरो।
प्रेम के बदले कितनी पीड़ा दी,
तुम इसका तनिक अनुमान करो।
तुम्हारे कारण दुःखी हो कोई,
तो उस दुःख का तुम निदान करो।
तभी सफल है जीवन तुम्हारा,जब
तुम समस्या का समाधान करो।
सभी को बाँटो स्नेह-प्रेम तुम
और बड़ों को तुम प्रणाम करो।
'सावित्री राठौर'
[मौलिक एवं अप्रकाशित]
Comment
इन अति सुन्दर भावनाओं के लिए हार्दिक बधाई, सावित्री जी।
भगवान करें हम सभी हर समय इस संदेश का पालन करें।
सादर,
विजय निकोर
बहुत अच्छे संदेश देती आपकी इस रचना के लिए आपको बधाई।
एक निवेदन करना चाहता हूं कि यदि आप थोड़ा और प्रयास करतीं तो इस रचना की सुंदरता बढ़ जाती। यह प्रयास अवश्य किया करिए कि कविता में गद्य जैसी पंक्तियां न रहें। दूसरा यदि मात्रा के आधार पर आपने इस रचना को साधने का प्रयास किया होता तो इसमें गेयता भी आ जाती और आपका संदेश और निखर कर आ जाता।
सादर!
सावित्री जी
समझो दूसरों की भावनाएँ,
न उनका अपमान करो।
मत दो किसी को दुःख,
सबको प्रेम समान करो।..
बहुत सुंदर पंक्तियाँ ... बहुत बढिया
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ................................ |
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