For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गाँव बदले हुए हैं ,शहर हो गए ,
स्वार्थ की आत्म-केंद्रित नहर हो गए,
सूर्य में थीं यहीं नेह की रश्मियाँ
रिश्ते सब गर्म अब दोपहर हो गए !
*
आओ मिलकर मोड दें पन्ने किताब के ,
और ढूँढें फूल कुछ सूखे गुलाब के ,
सकपकाई उम्र ,वो बारिश सवालों की
खूबसूरत झूठ ,वो किस्से जवाब के !
*
दर्द को खूब लिखा ,
गहरे जा डूब लिखा ,
पाँव जब जलने लगे
पथ को हरी दूब लिखा !
*
रूप की एक नदी बहती है,,
खूबसूरत ए हंसी लगती है,
फूल,घाटी ,पहाड़ ये झरने
कोई तस्वीर सजी लगती है !
________________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ

(मौलिक और अप्रकाशित रचना)

Views: 474

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश नीरज on June 12, 2013 at 7:29am

आपके इस प्रयास पर मेरी ढेरों बधाई!

Comment by प्रो. विश्वम्भर शुक्ल on June 10, 2013 at 11:01pm

रचनाओं का संज्ञान लेने और सराहना की दृष्टि का हार्दिक आभार ------श्याम नारायण वर्मा जी,प्रज्ञा श्रीवास्तव जी ,डी.पी. माथुर जी ,अमन कुमार जी ,जवाहर लाल सिंह जी ,यतीन्द्र पाण्डेय जी !

Comment by Shyam Narain Verma on June 10, 2013 at 11:58am
इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ.
Comment by Pragya Srivastava on June 10, 2013 at 11:10am

अति सुंदर

Comment by D P Mathur on June 10, 2013 at 10:28am

दर्द को खूब लिखा ,
गहरे जा डूब लिखा,
पाँव जब जलने लगे
पथ को हरी दूब लिखा !
बहुत गहराई से सरोबार पंक्तिया , बधाई ,बहुत अच्छी रचना !!!
डी पी माथुर

Comment by aman kumar on June 10, 2013 at 8:58am

उम्र  के हर मोड़ पर यादे हमें अपनी भावनायो से ही भिगो देती है ! 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 10, 2013 at 8:29am

बहुत ही सुंदर!

Comment by yatindra pandey on June 9, 2013 at 11:57pm

HAILO SIR

BEHTRIN RACHNA DIL MAI BAS GAYI

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri commented on Admin's group आंचलिक साहित्य
"गीत (छत्तीसगढ़ी ) जय छत्तीसगढ़ जय-जय छत्तीसगढ़ माटी म ओ तोर मंईया मया हे अब्बड़ जय छत्तीसगढ़ जय-जय…"
4 hours ago
LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
yesterday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service