रामसिया का रूप
राम सिया की जोड़ी कैसी, काम रती की जोड़ी जैसी.
राम सिया को जो नर ध्यावे, सब सुख आनंद वो पा जावे.
राम सिया जग के सुख दाता, जो मांगे वर वो पा जाता.
शुबह शाम नर नाम सुमीर तू, अपना काम समय पर कर तू.
कष्ट न दूजे को दे देना, सम्भव हो तो दुःख हर लेना.
परमारथ सा धरम न दूजा, नहीं जरूरत कोई पूजा.
वेद्ब्यास मुनि सब समझावे, गाथा बहु विधि कहहि सुनावे.
अन्तकाल में कष्ट जो पावे, सकल अतीत समझ में आवे.
कहत जवाहर हे रघुराई, मूरख मन से करौं बराई.
मरा मरा कह बाल्मिकी, बन गए मुनि महान.
मैं बालक अति मूढ़ मति, जानत सकल जहान.
सियावर राम चन्द्र की जय!
( मौलिक व अप्रकाशित )
-जवाहर लाल सिंह
Comment
आदरणीय श्री केवल प्रसाद जी, सादर अभिवादन!
सराहना पूर्ण प्रतिक्रिया के लिए आपका हार्दिक आभार!
आ0 जवाहर सर जी, सुन्दर भावों से पूरित चौपाई व दोहा शानदार प्रस्तुति। हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर,
आदरणीया विजयाश्री जी, जय सिया राम जय जय सिया राम !
आदरणीया कुन्ती जी, सादर अभिवादन!
जय सिया राम!
आदरणीय विनीता जी, सादर अभिवादन!
आज समाज भले ही अपने अपने अहम आगे ईश्वर को ना मानने लगा है पर दुःख की घड़ी में सबको भगवान याद आते हैं. दुःख में सुमिरन सब करे......आपकी सार्थक प्रतिक्रिया हेतु आभार!
आदरणीय श्री श्याम नारायण वर्मा जी, जय सिया राम!
आदरणीय श्री विजय मिश्र जी, सादर अभिवादन!
समर्थन हेतु आभार!जय सियाराम जय जय सियाराम
जय सियाराम जय जय सियाराम..........
अति सुंदर
जय सिया राम , बहुत सुंदर रचना जवाहर जी / सादर / कुंती .
भक्ति रस में पगी सुंदर रचना. काश समाज के आस्थाहीन लोग, इस भावना को समझें और गृहण करें!
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