प्रस्तुत रचना केदारनाथ के जलप्रलय को अधार मानकर लिखी गयी है.
चौपाई - सूरज ताप जलधि पर परहीं, जल बन भाप गगन पर चढही.
भाप गगन में बादल बन के, भार बढ़ावहि बूंदन बन के.
पवन उड़ावहीं मेघन भारी, गिरि से मिले जु नर से नारी.
बादल गरजा दामिनि दमके, बंद नयन भे झपकी पलके!
रिमझिम बूँदें वर्षा लाई, जल धारा गिरि मध्य सुहाई
अति बृष्टि बलवती जल धारा, प्रबल देवनदि आफत सारा
पंथ बीच जो कोई आवे. जल धारा सह वो बह जावे.
छिटके पर्वत रेतहि माही, धारा सह अवरुध पथ ताही.
कोई बांध सहै बल कैसे, पवन वेग में छतरी जैसे.
छेड़ा हमने ज्यों विधि रचना, विधि ने किया बराबर उतना.
पथ में शिला रेत की ढेरी, हे प्रभु, छमहु दोष सब मेरी.
भोलेनाथ शम्भु त्रिपुरारी, तुमही सबके विपदा हारी.
आफत बाद करो पुनि रचना, बड़ी भयंकर थी प्रभु घटना.
सहन न हो कछु करहु गुसाईं, तेरे शरण भगत की नाई,
दोहा- दीन हीन विनती करौ, हरहु नाथ दुःख मोर.
आफ़तहि निकालो प्रभू, दास कहावहु तोर.
(मौलिक व अप्रकाशित)
Comment
आदरणीय रविकर जी, सादर अभिवादन!
आपने अपनी कविता जोड़ कर चार चाँद लगा दिया -
तीरथ - पिकनिक एक समाना |
मानव धर्म कर्म मनमाना |
पैदल चलना भूला जब से |
दूर हुआ है तब से रब से |
भागी रथ पर तीरथ जनता |
भागीरथ से शिव नहिं मनता ||
मलबा पत्थर लाती गंगा |
करे व्यवस्था को झट नंगा ||
बहुत बहुत आभार आपका!
बहुत बढ़िया चौपाइयां -
सुन्दर भाव-
तीरथ - पिकनिक एक समाना |
मानव धर्म कर्म मनमाना |
पैदल चलना भूला जब से |
दूर हुआ है तब से रब से |
भागी रथ पर तीरथ जनता |
भागीरथ से शिव नहिं मनता ||
मलबा पत्थर लाती गंगा |
करे व्यवस्था को झट नंगा ||
आदरणीय रामशिरोमणि साहब, सादर अभिवादन के साथ आपका आभार, उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया के लिए!
आदरणीया महिमा बहन, सादर अभिवादन!
इधर या उधर बहुत कम नजर आती हो! शायद ब्य्स्तता बढ़ गयी है! बधाई स्वीकार है! इधर मैं भी दोहा, चौपाई आदि चाँद लिखना सीख रहा हूँ! प्रतिक्रिया के लिए आभार!
वाह आदरणीय सुन्दर चौपाई छंद रचा है आपने मेरी बधाई स्वीकारें.////////
अति बृष्टि बलवती जल धारा, प्रबल देवनदि आफत सारा
पंथ बीच जो कोई आवे. जल धारा सह वो बह जावे.
छिटके पर्वत रेतहि माही, धारा सह अवरुध पथ ताही.
कोई बांध सहै बल कैसे, पवन वेग में छतरी जैसे.
छेड़ा हमने ज्यों विधि रचना, विधि ने किया बराबर उतना.
पथ में शिला रेत की ढेरी, हे प्रभु, छमहु दोष सब मेरी.
भोलेनाथ शम्भु त्रिपुरारी, तुमही सबके विपदा हारी
आदरणीय जवाहर सर नमस्कार .. बहुत ही सुंदर प्रस्तुति ..मेरी बहुत-२ बधाइयाँ आपको
आदरणीय बृजेश जी , सादर अभिवादन !
आदरणीया अन्नपूर्णा जी , सादर अभिवादन !
आदरणीय कुशवाहा , सादर अभिवादन !
आदरणीय माथुर साहब , सादर अभिवादन !
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