वो दिखे ही नहीं इन दिनों
दूज का चन्द्रमा हो गए
इतने बीमार हम भी नहीं
अपनी खुद ही दवा हो गए
हैं सु-फल आपकी दृष्टि के
क्या थे हम और क्या हो गए
लोग सुनते हैं अब शौक से
अपने चर्चे कथा हो गए
कल की किलकारियां याद हैं
दर्द देखो युवा हो गए
खेल कर के कहीं रख दिया
यार,हम झुनझुना हो गए
अक्स चेहरे का आँखों में है
हम स्वयं आइना हो गए
____________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल
(मौलिक और अप्रकाशित )
Comment
वाह वा
शानदार गीतिका के लिए ढेरो ढेर बधाई ....
क्या कहने, आपको आपके ही रंग में पढ़ना एक पुरस्कार से कम नहीं है, सादर
सभी मित्रों सर्वश्री D P Mathur ji,Ram Shiromani Pathak ji,Shyam Narayan Varma ji,Sumit Naithani ji,Kewal Prasad ji,Jitendra Parsariyaa ji ,SUSHREE Coontee Mukerji ji,Meena Pathak ji,Vijayashree ji के सराहना के शब्दों का स्नेहिल आभार !
खेल कर के कहीं रख दिया
यार, हम झुनझुना हो गए !
आपकी इस प्यारी रचना के
पढ़कर हम फैन हो गये !
डी पी माथुर
आदरणीया विश्वम्भर सर जी बहुत ही सुन्दर चित्रण किया है अपने //हार्दिक बधाई
बहुत सुंदर रचना ......सादर / कुंती.
खेल कर के कहीं रख दिया
यार,हम झुनझुना हो गए
बहुत सुन्दर ... बधाई
...हम झुनझुना हो गए
अति सुंदर भाव / हार्दिक शुभकामनाएँ
आदरणीय...उम्दा रचना के लिए शुभकामनाऐं.......................
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online