For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता में प्रेम


उसने मुझसे कहा

ये क्या लिखते रहते हो

गरीबी के बारे में

अभावों, असुविधाओं,

तन और मन पर लगे घावों के बारे में

रईसों, सुविधा-भोगियों के खिलाफ

उगलते रहते हो ज़हर

निश-दिन, चारों पहर

तुम्हे अपने आस-पास

क्या सिर्फ दिखलाई देता है

अन्याय, अत्याचार

आतंक, भ्रष्टाचार!!

और कभी विषय बदलते भी हो

तो अपनी भूमिगत कोयला खदान के दर्द का

उड़ेल देते हो

कविताओं में

कहानियों में

क्या तुम मेरे लिए

सिर्फ मेरे लिए

नहीं लिख सकते प्रेम-कवितायें...

मैं तुम्हे कैसे बताऊँ प्रिये

कि बेशक मैं लिख सकता हूँ

कवितायें सावन के फुहारों की

रिमझिम बौछारों की

उत्सव-त्योहारों की कवितायें

कोमल, सांगीतिक छंद-बद्ध कवितायें

लेकिन तुम मेरी कविताओं को

गौर से देखो तो सही

उसमे तुम कितनी ख़ूबसूरती से छिपी हुई हो

जिन पंक्तियों में

विपरीत परिस्थितियों में भी

जीने की चाह लिए खडा दीखता हूँ

उसमें तुम्ही तो मेरी प्रेरणा हो...

तुम्ही तो मेरा संबल हो.....

Views: 358

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 3, 2013 at 9:44pm

भाव समृद्ध रचना पर विलम्ब से आ पाने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ, आदरणीय अनवर सुहैल जी.

एक ऐसी रचना जो मनस तपस्वी के सामर्थ्य को अर्पित है.

बधाई स्वीकार करें आदरणीय

Comment by बृजेश नीरज on June 24, 2013 at 6:09pm

अहहा! वाह! बहुत सुन्दर! जीवन को करीब से देखने और जीने वाले के लिए संबल वास्तव में प्रेम ही होता है जो अंतर्मन में बहता रहता है और छलकता भी है तो सिर्फ पसीने की बूंदों के रूप में।
इस सच्ची भावना में पगी रचना के लिए मेरी हार्दिक बधाई!

Comment by D P Mathur on June 22, 2013 at 8:17am

सच्चाई है ,
हमारा चारों तरफ के माहौल पर ध्यान जल्दी जाता है,
बहुत सुन्दर , आपको बधाई !

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 22, 2013 at 5:26am

जिन पंक्तियों में

विपरीत परिस्थितियों में भी 

जीने की चाह लिए खडा दीखता हूँ 

उसमें तुम्ही तो मेरी प्रेरणा हो...

तुम्ही तो मेरा संबल हो...

 वाह वाह!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
23 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Friday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

१२२/१२२/१२२/१२२ * कथा निर्धनों की कभी बोल सिक्के सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के।१। * महल…See More
Thursday
Admin posted discussions
Jul 8
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
Jul 7

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service