बेशक तुमने देखी नही दुनिया
बेशक तुम अभी नादान हो
बेशक तुम आसानी से
हो जाती हो प्रभावित अनजानों से भी
बेशक तुम कर लेती हो विश्वास किसी पर भी
बेशक तुम भोली हो...मासूम हो
लेकिन मेरी बिटिया
होशियार रहना
ये दुनिया ईतनी अच्छी नहीं है
ये दुनिया इतनी भरोसे लायक नहीं रह गई है
जहां उडती हैं गौरैयाँ खुले आकाश में
वहीं उड़ते हैं चील-कौवे-गिद्ध भी
तुम्हे होशियार रहना है गिद्धों से
और पहचानना है गौरैया के भेष में गिद्धों को...
तभी तुम जी पाओगी
उड़ पाओगी अपनी उडान...
बिना व्यवधान....
(अप्रकाशित मौलिक )
Comment
शुभकामनायें आदरणीय-
व्यावहारिक रचना के लिए हार्दिक बधाई, आदरणीय.
आदरणीय सुंदर रचना...........
bahut sundar
आदरणीय अनवर जी नमस्कार कुछ लाइनों में जवाब देने की कौशिश की है ,
मेरी प्यारी बगीयां की कली,
सदा तुम मुस्कुराओं ,
जीवन पथ की बगीयां में
कभी ना मुरझाओ
लेकिन ये भी याद रखों
हर डाली पर कांटें भी हैं
हवा के झोंके की हिलौरी से
कोई कांटा ना चुभ जायें
इस कोमल सी कली को
जीवन में
कोई दर्द ना मिल जायें
बेटी तुम रहना सचेत ,
कभी ना हो पाओ अचेत,
प्रत्येक पिता के दिल की बात ,उनके दिल का डर एक सीख बनकर शब्दों में ढ़ल आया है !
आपको बधाई !
जहां उडती हैं गौरैयाँ खुले आकाश में
वहीं उड़ते हैं चील-कौवे-गिद्ध भी
तुम्हे होशियार रहना है गिद्धों से
और पहचानना है गौरैया के भेष में गिद्धों को...वाह वाह ! अनवर साहब, बच्चों के प्रति दायित्व निर्वाह का
सुन्दर सन्देश देती रचना के लिए हार्दिक बधाई | आपकी रचना ने पुराना गाना याद करा दिया -
"इस बात तो कहनी है हमें इस देश के --------संभल कर रहना अपने घर में छुपे हुए गद्दारों से
जहां उडती हैं गौरैयाँ खुले आकाश में
वहीं उड़ते हैं चील-कौवे-गिद्ध भी
तुम्हे होशियार रहना है गिद्धों से
और पहचानना है गौरैया के भेष में गिद्धों को............आज के समय के अनुरूप बहुत ज़रूरी शिक्षा.
हार्दिक शुभकामनाएँ
sundar seekh bitiya ko ...
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