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बूँद बूँद से सागर भरता | विनय - अतुकांत |

आगे आओ हाथ बढाओ , साथी फँसे मुसीबत में |
बूँद  बूँद से सागर भरता , हाथ बँटाओ आफत में |  
एक चना भाड़ नहीं फोड़े , मदद चाहिए विपदा में |   
हर देशवाशी दें सहारा , आगे आयें विपदा में |
मौसम का कहर घर उजाड़ा , जीवन उजड़ा इस जग से |
दुआ कीजिये उन  लोगों की , निकल आयें फँसे मग से | 
कोई रोये भटक भटक के , कैसे होंगे उस  डग   से | 
हर दिन सब मिल पूजा करते , नाथ बचाओ विपदा से | 
राह मिले भूखे प्यासों को , आयें अपने नगरी में | 
अमन चमन हो देव भूमि में , खुशी रहे हर डगरी में |
मौसम रहे सुहाना हरदम , सदा  खुशी रहे  देश में |
हर घर में भाई चारा हो , कोई ना रहे क्लेश में |
देश वाशी देगें सहारा , असहाय  का भला होगा | 
खुले दिल से मदद दो भाई , फँसे का सहारा होगा |
मानवता के नाम दान दो , आपका भी भला होगा | 
वर्मा सबसे ही विनती है , मदद से ही भला होगा | 
श्याम नारायण वर्मा 
(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by बृजेश नीरज on June 24, 2013 at 9:37pm

आदरणीय आपसे सादर निवेदन है कि यह अतुकांत रचना नहीं है। शिल्प के स्तर पर इस रचना को एक बार फिर जांच लें।
इस प्रयास के लिए मेरी हार्दिक बधाई!
सादर!

Comment by वेदिका on June 24, 2013 at 7:14pm

मेरे विचार से तुकांत रचना है अतुकांत नही। 

बधाई ग्रहण कीजिये  

Comment by MAHIMA SHREE on June 23, 2013 at 8:43pm

आपकी विशुद्ध भावनाओ को नमन .. बहुत ही सुंदर प्रयास हुआ है बहुत -२ बधाई

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on June 22, 2013 at 9:33pm

सामयिक रचना और संदेशात्मक भी!

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