For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

क्या हुआ, कैसे हुआ ..

या हुआ अचानक ..

देखते देखते बदल गया..

स्वयं का कथानक ..

परछईओं ने भी छोड़ दिए ...

अब तो अपना दामन ..

परिंदों ने भी बंद किये हैं ..

स्वयं का कोलाहल..

पहचानती थी वह ईंट भी ..

जो ठोकर खाकर भटक गयी..

पथ पर रहने के बजाए..

पथ का रोड़ा बन गयी..

अभिलाषाओं का कुंदन हुआ..

आशाओं का तुषार पात ..

तड़ित दमकी और गिर पड़ी ..

उठकर देखा तो मौत खड़ी..

उसने भी नकार दिया..

पहचानने से इंकार किया ..

आशाओं को बुझा दिया..

ले जाने से इंकार किया..

सबकुछ बदला बदला है..

सबके बदले तेवर हैं..

अपना कौन.. कौन बेगाना..

जाना कौन.. कौन अन्जाना ..

अब यहाँ नहीं है कोई नायक ..

दिखता नहीं है कोई सहायक ..

क्या हुआ .. कैसे हुआ.. या हुआ .. अचानक ..

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 396

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 27, 2013 at 10:23am

Saurabh Pandey sir jee... आपके मार्गदर्शन के लिए दिल से आभार .... में कोशिश करूँगा..  धन्यवाद् ...


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on June 26, 2013 at 6:12pm

आपकी प्रस्तुति के लिए बधाई, आमोद भाई. रचनाकर्म में शिल्पगत व्यवहार को और साधे जाने की आवश्यकता है.

शुभेच्छाएँ

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 26, 2013 at 4:38pm

आदरणीय अमन भाई में ओत प्रोत हूँ आपके स्नेह से ... बहुत बहुत शुक्रिया व आभार ...

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 26, 2013 at 4:37pm

आदरणीय  मुकर्जी जी आपका आभार .

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 26, 2013 at 4:35pm

 गीतिका 'वेदिका'  जी आपका आभार ..

Comment by aman kumar on June 26, 2013 at 9:42am

अगर शाम हो ,

आप हो सामने अपने ,

आपके मुख से सुने आपकी कविताये ,

पर अभी तक ये भी न हो सका ! 

अब अपने दिल का हाल क्या बताये ! 

आपकी कविता देर से पड़ने को माफ़ी .......

आभार , आपकी तारीफ अब लिख कर नही करूंगा सामने ही बात होंगी !

Comment by coontee mukerji on June 25, 2013 at 5:05pm

मौत जब सामने ताण्डव  नृत्य कर रहे हों , तो कौन अपना कौन पराया ........बहुत अच्छा लिखा है अमोद जी .

Comment by वेदिका on June 25, 2013 at 1:36pm

अंतर्द्वंद में किंकर्तव्यंविमूढ़म को दर्शाते हुए जो मानसकिता बन पड़ती है, चित्रण पर बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
15 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
17 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
20 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service