तनाव की लिखावटें...
अक्सर अजीब होती हैं ...
काँपती सी और कुछ उलझी हुई..
उनमें कहीं कहीं शब्द छुट जाते हैं ..
कटिंग होती है..
और सहायक क्रिया नहीं होती है
सबसे अजीब होता है ..
सपनों का मरना ..
एक दोस्त पाठ को बदल कर कहता है ..
खतरनाक है सपनों का बिखर जाना ..
दूसरा दोस्त पाठ को फिर बदलता है ..
कहता है उससे अधिक खतरनाक है ..
सपनों का बिक जाना ..
वह सब कुछ बेच सकता है ..
अपनी जमीर, अपना जहाँ..
यहाँ तक कि अपना स्वप्न ..
दिमाग रह रह कर सोचता है ..
माथे पर सिलवटें बढती जाती है ..
शायद तनाव भारी पड़ता है ..
जिंदगी यूँ ही गुजरती है ..
तनाव में ..
रह जाता है सिर्फ तनाव, तनाव, तनाव ...
"मौलिक व अप्रकाशित"
Comment
आदरणीय रविकर जी एवं माथुर जी... बहुत बहुत आभार ....
रह जाता है सिर्फ तनाव तनाव तनाव , सही में आज यदि कोई पॉवरफुल है तो वो तनाव ही है अच्छी रचना के लिए आपको बधाई !
अपनी बात रखने में सफल रचना-
शुभकामनायें आदरणीय-
Contee Mukerji jee, Gitika jee, Jitendra Pastariya jee आप सभी ने मेरे सृजनात्मक तनाव को समझा और महसूस करा इसके लिए धन्यवाद् ... आभार ..
मन के अंतर्द्व्न्द की सुंदर अभिव्यक्ति.
सादर.
मेडिटेशन है न :)))))
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