For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तनाव की लिखावटें...
अक्सर अजीब होती हैं ...
काँपती सी और कुछ उलझी हुई..
उनमें कहीं कहीं शब्द छुट जाते हैं ..
कटिंग होती है..
और सहायक क्रिया नहीं होती है
सबसे अजीब होता है ..
सपनों का मरना ..
एक दोस्त पाठ को बदल कर कहता है ..
खतरनाक है सपनों का बिखर जाना ..
दूसरा दोस्त पाठ को फिर बदलता है ..
कहता है उससे अधिक खतरनाक है ..
सपनों का बिक जाना ..
वह सब कुछ बेच सकता है ..
अपनी जमीर, अपना जहाँ..
यहाँ तक कि अपना स्वप्न ..
दिमाग रह रह कर सोचता है ..
माथे पर सिलवटें बढती जाती है ..
शायद तनाव भारी पड़ता है ..
जिंदगी यूँ ही गुजरती है ..
तनाव में ..
रह जाता है सिर्फ तनाव, तनाव, तनाव ...

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 431

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 30, 2013 at 7:59am

आदरणीय रविकर जी एवं माथुर जी... बहुत बहुत आभार .... 

Comment by D P Mathur on June 27, 2013 at 8:37pm

रह जाता है सिर्फ तनाव तनाव तनाव , सही में आज यदि कोई पॉवरफुल है तो वो तनाव ही है अच्छी रचना के लिए आपको बधाई !

Comment by रविकर on June 27, 2013 at 10:31am

अपनी बात रखने में सफल रचना-

शुभकामनायें आदरणीय-

Comment by Amod Kumar Srivastava on June 27, 2013 at 10:21am

Contee Mukerji jee, Gitika jee, Jitendra Pastariya jee आप सभी ने मेरे  सृजनात्मक तनाव को समझा और महसूस करा इसके लिए धन्यवाद् ... आभार ..

Comment by coontee mukerji on June 27, 2013 at 2:00am

मन के अंतर्द्व्न्द की सुंदर अभिव्यक्ति.

सादर.

Comment by वेदिका on June 26, 2013 at 9:49pm

मेडिटेशन है न :))))) 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on June 26, 2013 at 8:07pm
आदरणीय..अमोद जी, बड़ी ही तनाव भरी पंक्तियां.."आदरणीय..शुभकामनाऐं"

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

LEKHRAJ MEENA is now a member of Open Books Online
17 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"शेर क्रमांक 2 में 'जो बह्र ए ग़म में छोड़ गया' और 'याद आ गया' को स्वतंत्र…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"मुशायरा समाप्त होने को है। मुशायरे में भाग लेने वाले सभी सदस्यों के प्रति हार्दिक आभार। आपकी…"
Sunday
Tilak Raj Kapoor updated their profile
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई जयहिन्द जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है और गुणीजनो के सुझाव से यह निखर गयी है। हार्दिक…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई विकास जी बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, अभिवादन। अच्छी गजल हुई है।गुणीजनो के सुझाव से यह और निखर गयी है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। मार्गदर्शन के लिए आभार।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। समाँ वास्तव में काफिया में उचित नही…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. मंजीत कौर जी, हार्दिक धन्यवाद।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तिलक राज जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति, स्नेह और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service