For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता--सबको बरसात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है

किन्तु कब तक ये अच्छी लगती है।

कम दिनों के लिये सुहानी है

थोडी-थोडी पडे तो पानी है

ज्यादा तो मौत की कहानी है

इसकी कुछ बात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है .......।

सब नदी-नाले ये चलाती है

रास्ते भी यही बनाती है

हमको चलना यही सिखाती है

हर मुलाक़ात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है........

पेड-पौधों का सबका कहना है

साथ इसके सभी को रहना है

कष्ट भी देगी तो सहना है

इसकी हर घात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है.......

इसने देखा पहाड-पत्थर है

सारी धरती करी बराबर है

यह समंदर यही सरोवर है

यह तो दिन-रात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है......

गर्मियों को पछाडने वाली

बिजलियाँ सी दहाडने वाली

रास्तों को उखाडने वाली

फिर भी बरसात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है.......।।

..................................कवि- सूबे सिंह सुजान

मौलिक व अप्रकाशित 

Views: 991

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विजय मिश्र on June 27, 2013 at 5:37pm
भाई , सचमुच बरसात अच्छी लगती है ठीक आपकी इस सरल प्रवाही कविता की तरह.बधाई
Comment by सूबे सिंह सुजान on June 27, 2013 at 9:32am

ram shiromani pathak,  bhut bhut dnyawad hn.......

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 27, 2013 at 9:30am

coontee mukerji, aapka bhut bhut shukriya...

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 27, 2013 at 9:29am

Shyam Narain Verma...,  ji thanks bhai ji

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 27, 2013 at 9:28am

अरुन शर्मा 'अनन्त', ji aapka shukriya.......ped podhon wali line men barsat ke bare men kahna hai......

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 27, 2013 at 9:07am

गीतिका 'वेदिका'..ji, aapka bhut bhut dnyawad....लेकिन जब यही बारिश जब बाढ़ बनती है तो सचमुच मौत की कहानी बनती है

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 27, 2013 at 9:03am

Jitendra Pastariya, ji aapki bat se sahmat hun, aapko achchha laga aapka danyawad.. कोई प्राणी, पेड़ पौधों, नदियाँ, नाले, धरती, पहाड़ ..सभी बड़ी से इन चार महीनो का इंतजार करते है! परन्तु यही बारिश जब अपना अनुशाषन तोड़ देती है तो बड़ी समस्याऐं प्रगट हो जाती है! किसान भी बड़ी बेसब्री से बारिश का इंतजार करता है, क्योकि उसके बाकी के आठ माह बारिश पर ही निर्भर होते है! सारी धरती पर बारिश से ही इतना पानी एकञित होता है कि सभी प्राणी व पेड़ पौधे पानी का अगली बारिश तक उपयोग कर सकें! ...सुंदर कविता के लिए आदरणीय...हार्दिक बधाई व शुभकामनाऐं

Comment by सूबे सिंह सुजान on June 27, 2013 at 9:03am
Jitendra Pastariya, ji aapki bat se sahmat hun, aapko achchha laga aapka danyawad.. कोई प्राणी, पेड़ पौधों, नदियाँ, नाले, धरती, पहाड़ ..सभी बड़ी से इन चार महीनो का इंतजार करते है! परन्तु यही बारिश जब अपना अनुशाषन तोड़ देती है तो बड़ी समस्याऐं प्रगट हो जाती है! किसान भी बड़ी बेसब्री से बारिश का इंतजार करता है, क्योकि उसके बाकी के आठ माह बारिश पर ही निर्भर होते है! सारी धरती पर बारिश से ही इतना पानी एकञित होता है कि सभी प्राणी व पेड़ पौधे पानी का अगली बारिश तक उपयोग कर सकें! ...सुंदर कविता के लिए आदरणीय...हार्दिक बधाई व शुभकामनाऐं
Comment by coontee mukerji on June 27, 2013 at 2:31am

पेड-पौधों का सबका कहना है

साथ इसके सभी को रहना है

कष्ट भी देगी तो सहना है

इसकी हर घात अच्छी लगती है

सबको बरसात अच्छी लगती है....   बहुत सुंदर.

Comment by ram shiromani pathak on June 26, 2013 at 5:21pm

सबको बरसात अच्छी लगती है***मुझे तो कुछ ज्यादा ही अच्छी लगाती है सुन्दर  //हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
19 hours ago
Admin posted discussions
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service