लघुकथा-लौटना
मन के कोने में कुछ विचार उथल-पुथल मचा रहे थे। कि मनुष्य को जब आगे कुछ दिखाई दे रहा हो तो वह आगे बढ कर उसे समेट लेने की सोचता है जबकि जिस जगह वह खडा होता है वह वहां तक उसी रास्ते से आया है। जिस रास्ते को वह आगे देखते हुय़े भूल जाता है। सोचते-सोचते सागर अपनी यादों में खो जाता है और बिल्कुल अकेला हो जाता है वह याद करता है कि किस तरह उसकी प्रयेसी कुसुम उसके आफिस में उससे दुनिया से अलग हट कर प्यार करने की बातें करती थी। और प्यार जताती भी थी, जब उसका तबादला हो गया तो वह उसे बार-बार फोन करती,अपने प्यार की कसमें दिलाती की आप वापिस आ जाओ और अपना तबादला हर हाल में वापिस मेरे पास करवाओ। क्योंकि वह अपने पति के बच्चे की माँ बनने वाली थी और सागर ने उसके बच्चे को सही सलामत पैदा होने में मदद करने की उससे वादा किया हुआ था। कुसुम उसे अपने प्यार की क़समें देकर फिर से वापिस तबादले का ज़ोर दे रही थी। सागर ने कहा कि तबादले पर बीस हज़ार खर्च होंगे । कुसुम ने कहा क्या सागर मेरे लिये ये नहीं कर सकते और सागर ने निर्णय लिया कि मैं तेरे प्यार के लिये बहुत जल्द तबादला करवाऊँगा। और उसने एक महीने के समय में वापिस तबादला करवा लिया और फिर से पहले की तरह रोज उसे आफिस ले जाता और छोडता। और फिर समय आया कुसुम ने एक सुन्दर लडकी को जन्म दिया। और धीरे-धीरे कुसुम अपने परिवार में व्यस्त रहने लगी। और सागर को कुसुम से जिस बेपनाह महब्बत की उम्मीद थी वह धूमिल हो गई। वह गहरी तन्हाई में खो गया और कुसुम के लिये जो सोचता था अब उसमें बदलाव आने लगा वह सोचने लगा कि अगर मैं तबादला वापिस न करवाता तो शायद वहाँ पर मेरी जिन्दगी को नये आयाम मिलते। लेकिन मैंने कुसुम के लिये वापिस लौटना अधिक उचित समझा। और महब्बत के लिये जिन्दगी लौटा दी।
यह रचना मौलिक व अप्रकाशित है
सूबे सिंह सुजान
Comment
मुझे यह कथा थोड़ी अस्पष्ट लगी, भाई सूजान सिंह जी
विजय मिश्र,जी मुझे कोई दिक्कत नहीं है। आप का स्वागत है। मुझे आपका प्यार मिला है.. इस तरह की टंकण अशुद्दियाँ कंई बार मुझसे भी हो जाती हैं.............
सभी लघुकथा पढने वाले मित्रों का धन्यवाद
अरून शर्मा अनन्त, जी आपका स्वागत है आपका धन्यवाद.....लेकिन ये कंटक क्या है.....कंही आप टंकण तो नही कह रहे हैं............हाँ महब्बत मैंने जानबूझ कर लिखा है...क्योंकि सही शब्द यही है
आदरणीय सूबे भाई लघुकथा पर आपका प्रयास सुन्दर है कंटक त्रुटियों पर ध्यान दें. खैर इस लघुकथा पर मेरी ओर से बधाई स्वीकारें.
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