तज़्मीन-- किसी अन्य शायर के शेर पर, शेर से पहले तीन पंक्तियाँ नई इस तरह से जोडना कि वे पंक्तियाँ उसी शेर का अविभाज्य अंग लगें। मैं डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी के दो शेरों पर दो तज़्मीन पेश कर रहा हूँ। गौर फरमाईयेगा।
1.
जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल,चुन
कह रहे कुछ ख़्वाब तेरे,उनको सुन
तेरे अन्दर बज रही संगीत धुन-------सूबे सिंह सुजान
हो सके ग़ाफिल। अगर तू उसको सुन,
तेरे अन्दर जो तेरी आवाज़ है।। -----डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी
2.
बात करके भी अधूरी छोडना
ख़्वाब बुनना और उनको तोडना
हर घडी बस बेसबब ही बोलना-----सूबे सिंह सुजान
काम है दुनिया का उल्टा सोचना
और दुनिया को इसी पर नाज़ है।। ------डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी
यह रचना मौलिक व अप्रकाशित है।
Comment
Baidya Nath ji,, Baidya Nath 'सारथी'.........बहुत बहुत धन्यवाद आपका स्वागत है।
बहुत बढ़िया ...वाह :)
जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल,चुन
कह रहे कुछ ख़्वाब तेरे,उनको सुन
तेरे अन्दर बज रही संगीत धुन-------सूबे सिंह सुजान
हो सके ग़ाफिल। अगर तू उसको सुन,
तेरे अन्दर जो तेरी आवाज़ है।। -----डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी
Shijju Shakoor.......ji apka dnyawad
आदरणीय सुजान सर खूबसूरत तज़्मीन आपने पेश किया है इसके लिये बधाई स्वीकार करें
गिरिराज भंडारी, जी नमस्कार आपके शब्दों में हम तापीफ सुन कर खुश हैं......आपने कहा कि…नई बात तज़्मीन के बारे में पता चली...........खैर बहुत शुक्रिया........तज़्मीन को लगभग ऊर्दू शायर कहते रहे हैं।
आप लोगों की एक नज़र की अपेक्षा है।।
अगर आपकी नज़र नहीं आई तो उपेक्षा है।।
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