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तज़्मीन--जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल चुन

तज़्मीन-- किसी अन्य शायर के शेर पर, शेर से पहले तीन पंक्तियाँ नई इस तरह से जोडना कि वे पंक्तियाँ उसी शेर का अविभाज्य अंग लगें। मैं डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी के दो शेरों पर दो तज़्मीन पेश कर रहा हूँ। गौर फरमाईयेगा।

1.

जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल,चुन

कह रहे कुछ ख़्वाब तेरे,उनको सुन

तेरे अन्दर बज रही संगीत धुन-------सूबे सिंह सुजान

हो सके ग़ाफिल। अगर तू उसको सुन,

तेरे अन्दर जो तेरी आवाज़ है।। -----डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी

2.

बात करके भी अधूरी छोडना

ख़्वाब बुनना और उनको तोडना 

हर घडी बस बेसबब ही बोलना-----सूबे सिंह सुजान

काम है दुनिया का उल्टा सोचना   

और दुनिया को इसी पर नाज़ है।।   ------डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी 

यह रचना मौलिक व अप्रकाशित है।

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Comment

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Comment by सूबे सिंह सुजान on October 26, 2013 at 2:16pm

Baidya Nath ji,, Baidya Nath 'सारथी'.........बहुत बहुत धन्यवाद  आपका स्वागत है।

Comment by Saarthi Baidyanath on October 26, 2013 at 1:34pm

बहुत बढ़िया ...वाह :)

Comment by सूबे सिंह सुजान on October 26, 2013 at 12:25pm

जिन्दगी सुन्दर बगीचा फूल,चुन

कह रहे कुछ ख़्वाब तेरे,उनको सुन

तेरे अन्दर बज रही संगीत धुन-------सूबे सिंह सुजान

हो सके ग़ाफिल। अगर तू उसको सुन,

तेरे अन्दर जो तेरी आवाज़ है।। -----डा. सत्य प्रकाश तफ़्ता ज़ारी

Comment by सूबे सिंह सुजान on October 26, 2013 at 12:24pm

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 12, 2013 at 10:09pm
शीलू जी, बहुत धन्यवाद ापके पधारने का व अपनी मूल्यवान टिप्पणी प्रधान करने का
Comment by सूबे सिंह सुजान on September 12, 2013 at 7:46am

Shijju Shakoor.......ji apka dnyawad


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 11, 2013 at 4:38pm

आदरणीय सुजान सर खूबसूरत तज़्मीन आपने पेश किया है इसके लिये बधाई स्वीकार करें

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 10, 2013 at 10:41pm

गिरिराज भंडारी,  जी  नमस्कार आपके शब्दों में हम तापीफ सुन कर खुश हैं......आपने कहा कि…नई बात तज़्मीन के बारे में पता चली...........खैर बहुत शुक्रिया........तज़्मीन को लगभग ऊर्दू शायर कहते रहे हैं।

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 10, 2013 at 10:39pm

आप लोगों की एक नज़र की अपेक्षा है।।

अगर आपकी नज़र नहीं आई तो उपेक्षा है।।

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 10, 2013 at 10:13pm

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