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कैलकुलेटर
‘’सुनती हो बेगम! सोने का दाम मार्केट में बहुत गिर गया है’’
‘’तो मैं क्या करूँ मियाँ?’’
‘’अजी बेगम जल्दी से तैयार हो जाओ ,मार्केट चलते हैं आज तुम्हें सोने से लाद दूँगा’’
‘’क्या.....?’’ राधा मुँह बाये हाथ में करछी पकड़े पति के पास आयी जो बरामदे में बैठा अखबार पढ़ रहा था.
‘’क्या कहा आपने? मुझे सोने से लादोगे? एक जोड़े कंगन के लिये तो सारी जिंदगी तरस गयी.’’ इतना कहकर राधा अपनी नाराज़गी जताती हुई दुबारा रसोईघर में चली गयी.
महिपाल पत्नी को मनाने के लिये उसके पीछे पीछे गया.
‘’तुम मेरी बात सुने बिना नाराज़ हो जाती हो.’’
‘’और नहीं तो क्या? जब तुम नौकरी से रिटायर हुए थे, तुम्हें कितना पेंशन फंड मिला था तब भी मैंने कंगन की बात कही थी मगर मेरी बात सुनकर भी अनसुना कर दिया था. अब तुम्हारा सोना वोना कुछ नहीं चाहिये...चलो हटो यहाँ से मुझे बहुत सारा काम करना है.’’
राधा ने पति को धक्का देकर रसोईघर से बाहर कर दिया. मगर महिपाल भी पक्का खिलाड़ी था. उसने बलपूर्वक राधा का हाथ पकड़ा और कमरे में ले आया-
‘’देखो बेगम! तुम हमेशा मुझे ताना मारती हो. आज मैं कुछ सुनना नहीं चाहता. जल्दी तैयार हो जाओ अन्यथा मैं तुम्हें इसी कपड़े में दुकान ले जाऊँगा.’’
राधा ने देखा कि पति बहुत ही संजीदा है मगर उसका दिल नहीं मान रहा था. आखिर पति को तैयार होते देख उसे भी तैयार होना पड़ा.
जौहरी के यहाँ बड़ा शोरूम देखकर राधा सब गिले शिकवे भूलकर सोने की चमक धमक में खो गयी, आखिर है तो औरत ही. औरतों का मानसिक पतन अगर हुआ है तो इसका एक कारण यह भी है. बहुत कम औरत इससे अछूती है.
महिपाल ने जी भर कर राधा के लिये चौबीस कैरेट के आभूषण खरीदे. मंगलसूत्र, कंगन, कर्णफूल, अंगूठी, हार इत्यादि. जब महिपाल ने एक लाख रुपये का बिल चुकाया तो राधा अवाक रह गयी. घर आकर पति से बड़े प्यार से बोली-
‘’क्यों जी? इतने सारे गहने खरीदने की क्या आवश्यकता थी. अगर खरीदना था तो दो सोने की चूड़ी ही खरीद देते.’’
‘’लेकिन तुम कहाँ मानने वाली थी ताना मार मार कर मेरा दिल छलनी कर दिया था.’’
‘’लो बाबा अब कान पकड़ती हूँ.’’ और दोनों खिलखिला कर हँस दिये. घर का वातावरण खुशनुमा हो गया.
कुछ दिनों बाद.
राधा के लैपटॉप का हार्ड डिस्क खराब हो गया.
‘’अजी सुनते हो? मेरे लिये एक नया लैपटॉप खरीद दो’’
‘’तुम्हारे पास तो है. दो रखकर क्या करोगी?’’
‘’इसका हार्ड डिस्क खराब हो गया है और कितना पुराना भी हो गया है. कितनी बार तो बन चुका है मगर महीने में कई बार अटक ही जाता है. अब मुझे नया ही दिलवा दो.’’
महिपाल को जैसे साँप सूँघ गया. जब पूछ्ने पर लैपटॉप विक्रेता ने बताया कि मिनी एच पी लगभग बीस हजार से कम का नहीं मिलेगा तो उसने बड़े लैपटॉप की तरफ देखा तक नहीं. घर आ कर बीवी से बोला -
‘’तुम्हारा लैपटॉप मैं बनवा दूँगा.’’ इतना सुनते ही राधा के तेवर बदल गये. गुस्से से बोली-
‘’तुम्हारी करतूत मैं खूब समझती हूँ. किसने लाख रूपये का सोना खरीदने को कहा था. तुम तो अपने दोस्तों के साथ बातों में मशगूल रहते हो, मेरा तो मनोरंजन का एक ही साधन है अपनी सहेलियों के साथ फेसबुक पर चैट करना और बेटों के साथ स्काइप द्वारा बातें करना.’’
‘’ठीक है बाबा तुम्हारा लैपटॉप बनवा दूँगा’’
‘’मुझे नया चाहिये.’’ राधा जैसे जिद्द पर उतर आयी.
महिपाल दुविधा में पड़ गया. करे तो क्या करे. मन ही मन औरत जात को कोसने लगा-
‘’ये औरत जात जिद्द पर उतर आये तो नाकों चने चबवा दे...अच्छा एक बेकार से बक्से के लिये बीस हज़ार क्यों खर्च करूँ? इन लोगों के भी अजीब शौक हैं, जब देखो तब चैट...चैट...आखिर क्या रखा है इस चैट में. ये कम्बख्त सोने का दाम भी जाने कब बढ़ेगा. मेरा लाख रुपया ठोस हुआ पड़ा है. जैसे ही सोने का दाम आसमान छूने लगे, उसे बेचकर अच्छा मुनाफ़ा कमाऊँगा.’’
उस दिन के बाद मियाँ बीवी में खूब तनातनी चलने लगी. महिपाल दो कामों में जुट गया. एक तो सेकण्ड हैंड लैपटॉप की खोज और दूसरा अखबार देखना कि कब सोने का भाव बढ़ेगा.
(मौलिक व अप्रकाशित रचना)

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Comment by aman kumar on July 1, 2013 at 1:19pm

 पुरुष समाज के मानसिकता का  सही प्रदर्शन है आपकी कहानी ....... मूल भाव का समर्थन करता हु 

आभार !

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 1, 2013 at 12:42pm

आदरणीया कुंती जी बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति है किन्तु मेरे जहन में एक प्रश्न है महिपाल ने राधा को बेगम और राधा ने महिपालको मियां कह कर संबोधित किया है ? बात गले से नहीं उतरी. खैर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकारें.

Comment by वेदिका on July 1, 2013 at 12:07pm

वाह! बहुत अच्छे महिपाल भैया तो बहुत  केल्कुलेटिव निकले और राधा सचमुच तरस के काबिल,,, खैर क्या किया जाये।

अगर भविष्य के लिए सेविंग ही करना है तो दोनों साथ मिल के करते तो क्या राधा खुश न होती? जरुर होती जैसा की कथा में कहा गया है की उसने कभी सोना नही पहना तो इतनी इकनोमिक महिला तो बहुत संतोष वाली कहलाई। लेकिन क्यों ये हमारे समाज के महिपाल एक तीर से दो शिकार करते है ? उनको क्यों समझ नही आता की अगर इन राधाओं को उनकी वृत्ति मालूम पड़ गयी तो भले ही राधा के मन के से महिपाल के लिए प्यार कम हो लेकिन इज्जत तो कम क्या ख़त्म हो जाएगी :(((((

लेकिन शायद उसको भी केल्कुलेट करके वापस पा लेंगे..!   

क्युकी फिर हीरे के भी तो दाम गिरने है :)))

Comment by रविकर on July 1, 2013 at 10:17am

मजेदार-

 आभार आदरणीया-

रोना कितने भूलते, सोना हुआ हराम ।

गिरते गिरते गिर गए, जो सोने के दाम ।

जो सोने के दाम, दामिनी गिरती दामन ।

सोना रहा खरीद, खरीदे बीबी बेमन ।

लैपटॉप पर चैट, बिछाती नहीं बिछौना ।

छौना सोवे मैट, बंद कर के खुद रोना ॥

Comment by D P Mathur on July 1, 2013 at 8:22am

आदरणीया कुन्ती जी नमस्कार,
आपने इंसानी फितरत के साथ साथ ज्यादातर घरों के मुखिया की सोच बताई है जो प्रत्येक वस्तु में मुनाफा खोजता है और सोना तो वैसे भी भारतीय महिलाओं की भावनात्मक कमजोरी रहा है चाहे उसके पीछे कारण मुसीबत में परिवार रक्षा ही हो !अच्छे आलेख की बधाई !

Comment by vijay nikore on July 1, 2013 at 1:59am

आदरणीया कुंती जी:

 

महिपाल का राधा के लिए १ लाख का सोना खरीदना भेंट नहीं थी, केवल व्यापार था। राधा को यह नहीं पता था। किसी को नहीं पता किसी की सोच में क्या छुपा है .. यह सच्चाई आपके लेख में बहुत अच्छी स्पष्ट हुई है। आपको बधाई।

 

सादर और सस्नेह,

विजय निकोर

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