एक~
*
नफ़रत जितनी उतना प्यार,
इन पर अपना क्या अधिकार,
एक बिंदु पर पड़ा ठहरना
सरहद को करना मत पार !
दो~
*
ये कैसी इसकी रफ़्तार ,
बहुत प्यार धीमा है यार ,
सीमाएं कुछ उनकी हैं तो
अपनी भी सीमा है यार !
तीन~
*
नफरत छोडो ,प्यार लुटाओ
खुशियाँ और सनेह बाँट दो ,
दिखें अगर मजहबी दिवारें
सीमाएं सब काट-छांट दो !
चार ~
*
ये आपकी नज़र है और मित्र दुआ है ,
आपकी दुआ से ही आकाश छुआ है,
जब गिरा कहीं मै कभी ठोकरें खाकर
अनमोल प्यार आपका नसीब हुआ है !
पांच ~
*
लौट आया जो कल गया कोई ,
दांव क्या खूब चल गया कोई ,
दोस्ती अजनबी से की हमने
चित्र फिर से बदल गया कोई !
________________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ (मौलिक और अप्रकाशित रचना )
Comment
मुक्तक अच्छे लगे। बधाई।
सादर,
विजय निकोर
आपको इस रचना पर मेरी हार्दिक बधाई!
आपसे एक निवेदन करना चाह रहा था कि इस मंच पर दूसरे रचनाकारों को आपके मार्गदर्शन की आवश्यकता है इसलिए कुछ समय निकालकर उनकी रचनाओं पर अपना मार्गदर्शन अवश्य दिया करिए।
सादर!
नफ़रत जितनी उतना प्यार,
इन पर अपना क्या अधिकार,
एक बिंदु पर पड़ा ठहरना
सरहद को करना मत पार ! sunder panktiya
मित्र Laxman Prasad Ladiwala जी ,आपका हार्दिक आभार सराहना के लिए !
आभार आपका Dr.Prachi singh जी
अपनत्व के विविध पहलुओं पर सुन्दर मुक्तक आदरणीय प्रो० विशम्भर शुक्ल जी
तीसरे मुक्तक पर एक बार पुनः गौर कर लें. सादर.
सभु मुक्तक सुन्दर और सार्थक है | हार्दिक बधाई श्री विशम्भर शुक्ल जी | सादर
आपका बहुत बहुत आभार आपकी सराहना से बल मिलता है सम्मान्य राजेश कुमारी जी !
सभी मुक्तक एक से बढ़कर एक हैं आदरणीय आपको हार्दिक बधाई
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online