For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक गजल पेश है, वज्न २ २ २ २ २ २ २ २ २ २ २ २ २ 
.
फिर सूने दिल का सूना पन उफ़ तौबा तौबा 
सूखा अम्बर बंजर आंगन उफ़ तौबा तौबा 
.
दिल बेचारा हारा हारा सौतन जीती फिर 
मेरे भोले सैयां का मन उफ़ तौबा तौबा 
.
एक चौराहा चारों राहें मन भटकाती है
मंजिल गुम बेमतलब जीवन उफ़ तौबा तौबा  
.
हम तो बिसरी सूरत फिर से लेके बैठे है 
उनका नादाँ जिद्दी बचपन उफ़ तौबा तौबा 
.
चंदा मामा सूरज काका सब रिश्ते झूठे 
अब तो अपना सा हर दुश्मन उफ़ तौबा तौबा 
.
ऊँचाई पे जाकर सब कुछ छोटा दिखता है 
कैसा नजरों का पागलपन उफ़ तौबा तौबा 
खेतों की हरियाली में मौसम मौसम हम  
औ पीली चूड़ी की छनछन उफ़ तौबा तौबा 
(मौलिक/अप्रकाशित)

Views: 1567

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on July 5, 2013 at 6:59pm

आदरनीया संजू "शब्दिता" जी! 

// बहुत -बहुत -बहुत -बहुत- बहुत -बहुत -बहुत -बहुत ....ही सुन्दर ग़ज़ल।
लाखों करोड़ों बधाइयाँ आपको।  //

आपकी इतनी प्यारी शुभकामनाओं ने मुझे अपार स्नेहिल खुशी दी है :)  

मै अभिभूत हूँ!!

आपका ह्रदय की गहराइयों से आभार!!  

Comment by sanju shabdita on July 5, 2013 at 6:28pm

आदरणीय गीतिका जी बहुत -बहुत -बहुत -बहुत- बहुत -बहुत -बहुत -बहुत ....ही सुन्दर ग़ज़ल।
लाखों करोड़ों बधाइयाँ आपको।  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2013 at 6:08pm
फिर सूने दिल का सूना पन उफ़ तौबा तौबा 
सूखा अम्बर बंजर आंगन उफ़ तौबा तौबा -----मुखड़े ने लूट लिया 
.
दिल बेचारा हारा हारा सौतन जीती फिर 
मेरे भोले सैयां का मन उफ़ तौबा तौबा ------ऐसे सैयां को भोला तो बिलकुल नहीं मानूंगी 
.
एक चौराहा चारों राहें मन भटकाती है
मंजिल गुम बेमतलब जीवन उफ़ तौबा तौबा  ---नहीईई ये तो डिप्रेसन के लक्षण है बेबी 
.
हम तो बिसरी सूरत फिर से लेके बैठे है 
उनका नादाँ जिद्दी बचपन उफ़ तौबा तौबा -----नटखट अदाएं 
.
चंदा मामा सूरज काका सब रिश्ते झूठे 
अब तो अपना सा हर दुश्मन उफ़ तौबा तौबा ----अब तो हर अपना  दुश्मन सा उफ़ तौबा तौबा कहेंगी तो बात स्पष्ट होगी 
फिलहाल इस मासूम प्यारी सी  ग़ज़ल के लिए दिली दाद कबूल करें 
Comment by वेदिका on July 5, 2013 at 4:33pm

आभार आदरणीय बसंत नेमा जी!

Comment by बसंत नेमा on July 5, 2013 at 4:29pm

आ0  सुन्दर गजल ..सुन्दर प्रस्तुति . बधाई 

Comment by वेदिका on July 5, 2013 at 3:34pm

आदरणीया प्राची जी! 

आपने रचना कर्म की उन्मुक्त कंठ से प्रशंसा की,

आपका तहे दिल से आभार!!  

Comment by वेदिका on July 5, 2013 at 3:29pm

आपका बहुत बहुत शुक्रिया आपने गजल के भाव को समझा, मुझे प्रोत्सहित किया 

आदरणीय विजय निकोर जी! 

आदरणीय सुमित नैथानी जी!

आदरणीय आभिषेक जी! 

आदरणीय देवेन्द्र जी! 

Comment by वेदिका on July 5, 2013 at 3:26pm

आप सब सुधिपाठकों का दिल से शुक्रिया,, आपने गजल की खूब सुरती की दाद दी!

आदरणीय किशन कुमार जी!

आदरणीय शिज्जू जी! 

आदरणीय केवलप्रसाद जी!    

Comment by Sumit Naithani on July 5, 2013 at 2:40pm

बहुत सुंदर है ये गज़ल तौबा तौबा 

Comment by vijay nikore on July 5, 2013 at 2:00pm

गज़ल अच्छी बनी है, आदरणीया गीतिका जी।

सादर,

विजय निकोर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Nov 5

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service