तू तो वह पल है
जिसे मैंने पाला है
जिसको मैंने जिया है
जिसने मुझे रुलाया
और
हँसाया भी है
मुझे, तुमसे मिलाया भी है
और मुझको, मुझसे भी मिलाया है
पद दिया
मान दिया
सम्मान दिया
कभी अर्श पे
कभी फर्श पे
बैठाया ....
मगर पल का क्या
पल की आदत है
बीत जाना
तो वो पल था
जो छोड़ गया
ये पल है
कल ये भी न होगा
पल का क्या
पल की तो आदत है
बीत जाना ....
"मालिक व अप्रकाशित "
Comment
आदरणीय रविकर जी, प्रज्ञा जी, गीतिका वेदिका जी एवं जितेंद्र पस्तरीया जी सादर धन्यवाद ..... उत्साहवर्धन के लिए....
पल पल पलड़ा पलटता, पलटे पल पलवाल |
बहुत सुन्दर है भाई जी-
सादर
पल की खबर नही पल का पता नही सचमुच पल भर में बदल जाती हैं जिंदगीयाँ
आदरणीय आमोद जी बधाई
बहुत सही, न जाने कौन सा पल, पल भर में ही न जाने क्या से क्या हो जाता है, पल भर का तमाशा ही तो है सब!
बधाई स्वीकारे आदरणीय आमोद जी!
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