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२   २  १  २     २  २  १  २       २  २  १  २
नायक या खलनायक उसे किस खाते लिखूं  

या भटकी लाली के संग उस को जाते लिखूं

 

जिस  को  खुदा  माना  कभी हम ने दोस्त

दीया कोई  उस की चोखट पर जलाते लिखूं

गा  कोई तुम नगमा सुरीला सा मेरे  दिल

तुझ  को  करीब  पाऊं  लोरी सुनाते लिखूं

वो छोड़ गया जो मुझ को इस भंवर में अब

अब तुम बता मुझको अपना किस नाते लिखूं

 

उस का करें किस बात पै हम यकीं मोहन ,

करते  हैं  जो  लोग  या वो दिखाते लिखू

मौलिक अप्रकाशित

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Comment by coontee mukerji on July 10, 2013 at 1:31pm

बहुत सुंदर

Comment by मोहन बेगोवाल on July 9, 2013 at 8:29pm

आदरणीय गीतिका जी और दोस्तों का मेरी एचना को पसंद करने के लिए धन्यवाद

Comment by वेदिका on July 9, 2013 at 5:10pm

नायक या खलनायक उसे किस खाते लिखूं 

या भटकी लाली संग उसे जाते लिखूं ,,, बहुत खूब लिखा!

प्रस्तुति पर बधाई,  आदरणीय मोहन जी!!

Comment by mrs.Preeti G.sharma on July 9, 2013 at 2:28pm
'Bahut hi sunder gajal 'adrniy mohan ji, aapko badhai
Comment by aman kumar on July 9, 2013 at 2:07pm

सुंदर प्रस्तुति !

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