बर्तन की जाली में एक लोटा और कुछ चम्मच थे | सारे चम्मच लोटा को दुनिया का सबसे अच्छा बर्तन मानते थे, उसकी जय-जयकार करते थे, लोटा हमेशा उनको चमक - दमक की दुनिया से बचने नसीहतें देता था, हमेशा उनको बताता था कि दुनिया वैसी नहीं है जैसी दिखती है, चम्मचों ! परदे के पीछे का खेल देखने की कोशिश किया करो, सच्चाई वहाँ छुपी होती है, बहुत लोग तुमको ऐसी नकली दुनिया में घसीटने की कोशिश करेंगे ऐसे लोगों से दूर रहो,,, और भी जाने क्या क्या .....
किसी ने लोटा को जाली से बाहर निकला और किचन के टाईल्स लगे चमकते दमकते फर्श पर रख दिया, लोटा लुढक गया ..... चम्मच बहुत दुखी हैं
(नोट - चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है)
- वीनस केसरी
मौलिक व अप्रकाशित
Comment
अहहा! वाह वीनस भाई! आनंद ही आनंद!
आदरणीय जितनी बार पढ़ रहा हूं मेरी 'दंगनेस' उतनी ही बढ़ रही है। प्रतीकों का ऐसा खूबसूरत प्रयोग मैंने लघुकथा में इससे पहले नहीं देखा।
आपको बधाई नहीं दूंगा। आपको नमन करूंगा। शत् शत् नमन!
सादर!
हा हा हा
सौरभ जी,
कभी कभी कह देने से मन हल्का हो जाता है .........
सो कह दिया
//चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है//
इस अद्भुत प्रतीकात्मक लघुकथा को पढ़ कर दंग हूँ.
लोटे की चमक, साथी चम्मचों की मुग्धावस्था, लोटे की नसीहतें.. !
किन्तु वाह रे लोटे की जात !? निकला क्या तो बेपेंदे का !!
भाईजी, फिर चमकता-दमकता टाइल जरूरी था न.. !? वर्ना क्या पता चल पाता.. . :-))
लेकिन लोटा लोटा है, साहब.
लोटा रंग लायेगा.. . आपबीती सुनायेगा, पर्दे के पीछे की !.. आज के भकुआये सारे चम्मच बिटुरायेंगे, फिर मुग्ध होंगे.. . .
श्रद्धा-सबुरी..
साईं बाबा की जय.. !
:-))))))))
इसलिए चम्मच हमेशा चम्मच ही रहते हैं लोटा कभी नहीं बन पाते .
मैंने ऐसा कब् चाहा था ...
काश वो कभी लोटा न बनें
लगता है कथा के सम्प्रेषण में कुछ कमी रह गई है ....
हार्दिक आभार केवल प्रसाद जी ...
चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है. :))))) इसलिए चम्मच हमेशा चम्मच ही रहते हैं लोटा कभी नहीं बन पाते ... बधाई आपको
आ0 वीनस भाई जी, वाह! बहुत सुन्दर प्रस्तुति। तहेदिल बधाई स्वीकारें। सादर
जी हाँ विजय जी चम्मच तो बस चम्मच हैं ...
बेचारे बहुत दुखी हैं ...
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