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बर्तन की जाली में एक लोटा और कुछ चम्मच थे | सारे चम्मच लोटा को दुनिया का सबसे अच्छा बर्तन मानते थे, उसकी जय-जयकार करते थे, लोटा हमेशा उनको चमक - दमक की दुनिया से बचने नसीहतें देता था, हमेशा उनको बताता था कि दुनिया वैसी नहीं है जैसी दिखती है, चम्मचों ! परदे के पीछे का खेल देखने की कोशिश किया करो, सच्चाई वहाँ छुपी होती है, बहुत लोग तुमको ऐसी नकली दुनिया में घसीटने की कोशिश करेंगे ऐसे लोगों से दूर रहो,,, और भी जाने क्या क्या .....
किसी ने लोटा को जाली से बाहर निकला और किचन के टाईल्स लगे चमकते दमकते फर्श पर रख दिया,  लोटा लुढक गया ..... चम्मच बहुत दुखी हैं

(नोट - चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है)

- वीनस केसरी

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by बृजेश नीरज on July 18, 2013 at 11:53am

अहहा! वाह वीनस भाई! आनंद ही आनंद!
आदरणीय जितनी बार पढ़ रहा हूं मेरी 'दंगनेस' उतनी ही बढ़ रही है। प्रतीकों का ऐसा खूबसूरत प्रयोग मैंने लघुकथा में इससे पहले नहीं देखा।
आपको बधाई नहीं दूंगा। आपको नमन करूंगा। शत् शत् नमन!
सादर!

Comment by वीनस केसरी on July 18, 2013 at 1:17am

हा हा हा
सौरभ जी,
कभी कभी कह देने से मन हल्का हो जाता है .........
सो कह दिया


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 18, 2013 at 12:26am

//चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है//

इस अद्भुत प्रतीकात्मक लघुकथा को पढ़ कर दंग हूँ.

लोटे की चमक,  साथी चम्मचों की मुग्धावस्था, लोटे की नसीहतें..  !

किन्तु वाह रे लोटे की जात !?  निकला क्या तो बेपेंदे का !!  

भाईजी, फिर चमकता-दमकता टाइल जरूरी था न.. !?  वर्ना क्या पता चल पाता.. .  :-))

लेकिन लोटा लोटा है, साहब. 

लोटा रंग लायेगा.. . आपबीती सुनायेगा, पर्दे के पीछे की !..  आज के भकुआये सारे चम्मच बिटुरायेंगे,  फिर मुग्ध होंगे.. . .

श्रद्धा-सबुरी.. 

साईं बाबा की जय.. ! 

:-))))))))

Comment by वीनस केसरी on July 17, 2013 at 11:50pm

इसलिए चम्मच हमेशा चम्मच ही रहते हैं लोटा कभी नहीं बन पाते .

मैंने ऐसा कब् चाहा था ...
काश वो कभी लोटा न बनें
लगता है कथा के सम्प्रेषण में कुछ कमी रह गई है ....

Comment by वीनस केसरी on July 17, 2013 at 11:49pm

हार्दिक आभार केवल प्रसाद जी ...

Comment by MAHIMA SHREE on July 17, 2013 at 8:46pm

 चम्मच कभी स्कूल नहीं गये हैं इसलिए उनको कहावतों के विषय में कोई जानकारी नहीं है. :))))) इसलिए चम्मच हमेशा चम्मच ही रहते हैं लोटा कभी नहीं बन पाते ...  बधाई आपको  

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 17, 2013 at 8:18pm

आ0 वीनस भाई जी,    वाह!   बहुत सुन्दर प्रस्तुति। तहेदिल बधाई स्वीकारें।   सादर

Comment by वीनस केसरी on July 17, 2013 at 1:51pm

जी हाँ विजय जी चम्मच तो बस चम्मच हैं ...
बेचारे बहुत दुखी हैं ...

Comment by विजय मिश्र on July 17, 2013 at 1:09pm
चम्मच तो बर्तन वाली जाली में भी स्थिर नहीं रहते ,जहाँ-तहाँ से छिटकते और गीरते-पड़ते रहते हैं ,वीनसजी ,इन्हें तो यह भी नहीं मालूम कि ये बर्तन की श्रेणी में भी नहीं आते .चम्मच तो बस चम्मच है .

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