For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुझे इकरार हो तो चली आना।

कभी न आएँगे तेरे दर पे
कि तेरे बिना
जीना मंजूर है हमें
कभी न ताकेंगे तेरे राह
कि तेरे बिना
जीना मंजूर है हमें।

एक आशियाना मिला था,
एक फूल खिला था,
जो मुरझा गया समय से पहले
उस फूल को लेकर
अब मैं कहाँ जाऊँ।

जिसमे सजानी थी
बचपन की यादें,
समेटनी थी कुछ खुशियाँ
तेरे साथ उन खुशियों को
ढूंढने अब मैं कहाँ जाऊँ।

एक शाम बितानी थी तेरे संग
दुनिया को भूलकर
आसमान छूना था,
उन सपनों को लेकर
अब मैं कहाँ जाऊँ।

तेरे यादों को जो ले आई थी
झोली में भर कर
उन यादों को दफ़नाने
अब मैं कहाँ जाऊँ।

एक शाम जो गुज़री थी
तेरे पलकों के साये
उस शाम को आग देने
अब मैं कहाँ जाऊँ।

तू याद न करना हमें,
हम ने भी भूलाया है तुझे
अगर देना है चिता उन यादों को
तो तू भी चली आना।

बरसात तो होगा ही
असमान भी रोयेगा,
एक दुसरे के कंधे पर रखकर सिर
कुछ देर आँहें भर लेंगे।

यादों की बारात सजेगी
हाथों में तेरे, होगा कुछ भस्म
कुछ मेरे हाथ होगा, 
उस भस्म से सजेगी मंडप।

तुझे इकरार हो तो चली आना।

.....लता तेजेश्वर

"मौलिक व अप्रकाशित"

Views: 655

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata tejeswar on August 5, 2013 at 4:54pm

bahut bahut dhanyabaad Sauravji ...koshish rahegi...aap ki amulya sujhav ko dhyan me rakhun.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 2, 2013 at 12:52am

भाव संप्रेषण शब्द और व्याकरण पर भी निर्भर करते हैं.  व्याकरण और अक्षरी सम्बन्धी अशुद्धियाँ खलती हैं.

शुभेच्छाएँ

Comment by Lata tejeswar on July 28, 2013 at 5:58pm

bahut bahut dhanyabaad jeetendraji...

Comment by Lata tejeswar on July 28, 2013 at 5:57pm

dhanyabaad बृजेश नीरजji..jarur age khyaal rakhungi.

Comment by Lata tejeswar on July 28, 2013 at 5:56pm

hosla badane ke liye bahut bahut dhanyabaad vedika ji..

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 27, 2013 at 8:28pm

आदरनीया लता जी , सुंदर रचना प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई ....

Comment by बृजेश नीरज on July 26, 2013 at 10:04pm

आपके इस प्रयास पर आपको हार्दिक बधाई!
एक निवेदन है कि टाइपिंग की गलतियों पर नजर रखा करें।
सादर!

Comment by वेदिका on July 26, 2013 at 12:23pm

मन की बात रखी, रचना सुंदर बनी  

Comment by Lata tejeswar on July 26, 2013 at 12:17pm

dhanyabaad maananiya Dr.ashutoshji

Comment by Lata tejeswar on July 26, 2013 at 12:17pm

dhanyabaad annapurnaji

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
yesterday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
Saturday
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
Saturday
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service